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[ पृष्ठ २११ की पाद-टिप्पणी का शेषांश ] मुर्शिदाबाद जिले का कुछ भाग उसकी उत्तरी सीमा में था। जैनपरम्परा में आता है कि बजभूमि और सुम्हभूमि नामक उसके दो विभाग थे ।......||—'ज्यागरैफिकल डिकश्नरी आव ऐंशेंट ऐंड मिडिवल इंडिया' (नन्दलाल दे-रचित), पृष्ठ १६४ । (२) कार्य के लिए दिनाजपुर जिले में स्थित बानगढ़ चुना गया जिसका पुराना नाम कोटिवर्ष या देवीपुर था । कुंजगोविंद गोस्वामी-लिखित 'एक्सकैवेशंस ऐट बानगढ़' ( के० एन० दीक्षित, डाइरेक्टर जनरल आव आालाजी, लिखित-भूमिका पृष्ठ V) (३) इस में (आधुनिक) दिनाजपुर का पूरा जिला रहा होगा।
हिस्टाटिकल ज्यागरैफी आव ऐंशेंट इंडिया (विमलचरण ला
रचित) पृष्ठ २३० । (४) लाढ़ का प्रमुख नगर कोटिवर्ष था। कोटिवर्ष दिनाजपुर जिले में स्थित बानगढ़ है।
-द' हिस्ट्री आव बंगाल, (आर० सी० मजूमदार-कृत), पृष्ठ ६. (५) कोटिवर्ष-उत्तरी बंगाल में स्थित दिनाजपुर-पोलिटिकल हिस्ट्री आव ऐंशेंट इंडिया, हेमचन्द्रराय चौधुरी-रचित, ५-वाँ संस्करणपृष्ठ ५६१.) (६) वज्रभूमि (हीरे वाली भूमि) से हमें आईने-अकबरी में (खण्ड २) पृष्ठ १३८, ( यदुनाथ सरकार द्वारा अनूदित ) वर्णित दक्षिणी-पश्चिमी बंगाल में स्थित मरदान सरकार का ध्यान हो जाता है, जहाँ हीरे की
खान थी। यह सरकार बीरभूमि, बर्दवान तथा हुगली तक फैली थी। (ब) अपनी पुस्तक 'ज्यागरैफिकल डिक्शनरी आव ऐंशेंट ऐंड मिडिवल
इण्डिया' में श्री नन्दलाल दे ने (पृष्ठ १६४) राढ़ की चर्चा करते हुए
लिखा है-लाढ़ देश में २४-वें तीर्थंकर महावीर वर्द्धमान केवल-ज्ञान .. प्राप्त करने से पूर्व १२ वर्षों तक विहार करते रहे । अपनी इस उक्ति
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