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________________ भगवान् महावीर जब ध्यान में अवस्थित थे, तब कोई ग्वाला सारे दिन हल जोतकर संध्या समय जब बैलों सहित लौटा, तो भगवान् के पास बैलों को रखकर गायें दुहने के लिए घर चला गया। बैल चरते-चरते जंगल में दूर निकल गये और जब ग्वाला दो बारा वहाँ लौटा तो उसने देखा कि, बैल वहाँ नहीं थे । उसने भगवान् से पूछा- "हे देवार्य, मेरे बैल कहाँ गये ?" भगवान् की ओर से कुछ भी प्रत्युत्तर न मिलने पर, उसने समझा कि, उनको मालूम नहीं है । वह जंगल में बैलों को ढूंढने चला गया। भाग्यवशात् बैल प्रातः स्वयं भगवान् के पास आकर खड़े हो गये। (पृष्ठ १६२ की पादटिप्परिणका शेषांश ) विशेष स्पष्टीकरणके लिए देखिये 'वैशाली' (हिन्दी, पृष्ठ ६४-६६) इस गाँव का आधुनिक नाम कामनछपरा गाँव है । ( वीर-विहार मीमांसा, हिन्दी, पृष्ठ २३) ४-तत्थ य दो पंथा एगो पाणिएणं एगो पालीए, सामी पालीए जा वच्चति ताव पोरुसी मुहुत्तावसेसा जाता, संपत्तो य तं गामं ___--आवश्यक चूणि, पत्र २६८ । तत्र च पथद्वयं-एको जलेन अपरः स्थल्यां, तत्र भगवान् स्थल्यां गतवान गच्छंश्च दिवसे मुहूर्तशेषे करिग्राममनुप्राप्तः इति —आवश्यक, हरिभद्रीय वृत्ति, विभाग १, पत्र १८८१ तत्र च पथद्वयं एको जलेनापरः पाल्या। तत्र च भगवान पाल्या गतवान् , गच्छंश्च दिवसे मुहूर्तशेर्ष कर्मारग्राममनुप्राप्तः --मलयगिरी-आवश्यक-टीका-भाग १, पत्र २६७।१। ५-नासाग्रन्यस्तनयनः प्रलम्बित भुजद्वयः । प्रभुः प्रतिमया तत्र तस्थौ स्थाणुरिव स्थिरः ।। १६॥ - नासिका के अग्रभाग पर जिनकी दृष्टि स्थिर है, दोनों हाथ जिनके लम्बे किये हुए हैं, ऐसे भगवान् स्थाणु की तरह ध्यान में स्थिर हुए। -त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित पर्व १०, सर्ग ३, श्लोक १६, पत्र १६-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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