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(१४४) ७-तिहि रिक्खम्मि पसत्थे महन्त सामन्त कुलपसू याए । कारिन्ति पाणिगहणं जसोयवररायकन्नाए ॥ ८० ॥
-श्री नेमिचन्द्राचार्य-रचित-महावीर-चरियं पत्र ३४-१
८-पुण्येऽहनि महीनाथो जन्मोत्सवसमोत्सवम् । विवाहं कारयामास महावीरयशोदयोः ।। १५१ ॥
-त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १० सर्ग-२ ९-सिद्धत्थनराहिवेण जेठभाउगनंदिवद्धणजुवराण य अणुगम्ममाणो सिरिवद्धमाणकुमारो सायरमवलोयणक्खित्तचित्तेण भवणमालातलसंठिएण पुरजणेण दंसिज्जतो अंगुलिसहस्से हिं पुज्जमाणो आसीससएहिं अग्घविज्जमाणो अक्खयसम्मिस्सकुसुमवुदिठवरिसेहि-संपत्तो कमेण विवाहमडवंति, अह मंडवदुवारेच्चिय पडिरुद्धो पडिहारजणेण सामन्नलोओ, पविठ्ठो पहाणलोएण समं अभिंतरंमि, विलयाजणेण ओमिलणपुबगं झत्ति विविहं पसाहिया सा जसोयवररायकन्ना वि, तथाहि...
पत्ताय तक्खणागयपुरोहिया रद्धजलणकम्ममि । नववंदणमालामणहरंमि वरवेइगाभवणे ।।८।। तत्तो पाणिग्गहणं पारद्धं गीय मंगल सणाहं । सयलतइलोकदाविय परमाणंदं महिड्डीए ॥ ९॥ ......एवं च सुरासुर नरपति तोसकारए वित्ते विवाह महूसवे....।
-गुणचन्द्र-रचित महावीर चरियं, पत्र १३२ +
+ भगवान् महावीर विवाहित थे अथवा 'अविवाहित' थे, इस शंका का बड़ा अच्छा समाधान 'श्री एकविंशतिस्थानप्रकरण' ( पृष्ठ २३ ) में में मिलता है :
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