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________________ (१३६) अर्काधुच्चान्यज १ वृष २ मृग ३ कन्या ४ कर्क ५ मीन ६ वणिजों ७ ऽश: दिग १० दहना ३ ष्टाविंशति २८ तिथि १५षु नक्षत्र २७ विंशतिमिः । मेषे सूर्यः १० वृषे सोमः ३ मृगे मंगल: २८ कन्यायां बुधः १५ कर्के गुरु: - ५ मीने शुक्रः २७ तुलायां शनिः २० भगवान् महावीर का जन्मोत्सव भगवान् के जन्म के समय ५६ दिक् कुमारियाँ आयीं और भगवान् का सूतिका-कर्म करके जन्मोत्सव मनाकर अपने-अपने स्थान पर चली गयीं। - भगवान महावीर का जन्म होते ही सौधर्म-देवलोक का इन्द्रासन कम्पायमान हुआ। अवधिज्ञान से इन्द्र को पता चल गया कि भगवान् महावीर का जन्म हो गया है। वह बड़ा प्रसन्न हुआ और अपने परिवार के देवदेवियों को लेकर वह इन्द्र कुण्डपुर की ओर चला। उनके साथ चारों निकाय के भुवनपति, वागव्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिक देवलोक के देव और इन्द्र भी थे। उस समय देवों में परस्पर होड़-सी लग गयी थी और सभी एक दूसरे से पहले पहुँचने के लिए सचेष्ट थे । इन्द्र जब कुण्डपुर पहुंचे, तो उन्होंने भगवान और उनकी माता की तीन बार प्रदक्षिणा की और उनकी माता को प्रणाम करने के बाद अवस्वापिनी निद्रा (एक प्रकार का 'क्लोरोफार्म') Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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