SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१२० ) - हे देवि ! हे कल्याणी ! तुम ब्रज में जाओ । वह प्रदेश ग्वालों और गौओंसे सुशोभित है । वहाँ नन्द बाबा के गोकुल में वसुदेव की पत्नी रोहिणी निवास करती है । उनकी और भी पत्नियाँ कंस के डरसे गुप्त स्थानों में रह रही है || १ || इस समय मेरा वह अंश जिसे शेष कहते हैं, देवकी के उदर में गर्भरूप से स्थित है । उसे वहाँ से निकाल कर तुम रोहिणी के पेट में रख दो ।"८ भगवान् के इस प्रकार कहने पर योगयाया 'जो आज्ञा' कह पृथ्वीलोक में चली गयी और भगवान् ने जैसा कहा था, वैसे ही किया गर्भे प्रणीते देवक्या रोहिणीं योगनिद्रया । अहो विस्रंसितो गर्भ इति पौरा विचुक्रशुः ॥ १५ ॥ - - जब योगमायाने देवकी का गर्भ ले जाकर रोहिणी के उदर में रख दिया, तब पुरवासी बड़े दु:ख के साथ आपस में कहने लगे- 'हाय ! बेचारी देवकी का यह गर्भ तो नष्ट ही हो गया ।" - श्रीमद्भागवत, दूसरा भाग, स्कंध १०, पृष्ठ १२२-१२३ गर्भ - परिवर्तन वैज्ञानिक दृष्टि से भारतीय परम्परा में वरिणत गर्भापहरण- सरीखी कितनी ही बातें: अब तक लोग अविश्वस्त समझते रहे हैं; पर विज्ञान ने उनमें से बहुत-कुछ प्रत्यक्ष कर दिखाया । (१) 'गुजरात वर्नाक्यूलर सोसायटी' द्वारा प्रकाशित 'जीवन-विज्ञान' ( पृष्ठ ४३), में एक वर्णन इस प्रकरण प्रकाशित हुआ है । एक अमरीकन डाक्टर को एक भाटिया स्त्री के पेट का आपरेशन करना था । वह गर्भवती थी । अतः डाक्टर ने गर्भिणी बकरी का पेट चीर कर उसके पेट का बच्चा बिजली की शक्ति से युक्त एक डब्बे में रखा और उस औरत के पेट का बच्चा निकाल कर बकरी के गर्भ में डाल दिया । औरत का आपरेशन कर चुकने के बाद, डाक्टर ने पुनः औरत का बच्चा औरत के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy