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________________ (८५) इन प्रमाणों से स्पष्ट है कि, 'वैशालिक' नाम के कारण भगवान् महा. वीर का जन्म-स्थान वैशाली नगर मानना पूर्णतः त्रुटिपूर्ण होगा। और, हम ऊपर शास्त्रीय प्रमाणों से यह बात भी सिद्ध कर आये हैं कि, भगवान् का जन्म वैशाली देश में, कुण्डपुर के 'क्षत्रियकुण्ड-सन्निवेश' में हुआ था। यह कुण्डपुर वैशाली का उपनगर नहीं था; बल्कि एक स्वतंत्र नगर था। ___ अब हमें कुण्डपुर के ब्राह्मण-कुण्ड सन्निवेश और क्षत्रियकुण्ड सन्निवेश की भी स्थिति समझ लेनी चाहिए। ब्राह्मणकुण्ड क्षत्रियकुण्ड के निकट था और दोनों के बीच में बहुशाल चैत्य था। एक बार भगवान् विहार करते हुए ब्राह्मणकुण्ड आये और गाँव के निकट बहुशाल-चैत्य में ठहरे थे। यह कथा भगवती-सूत्र के शतक ६, उद्देश्य ३३ में वर्णित है। उसमें उल्लेख है : ___ "तस्स णं माहणकंडग्गामस्स गयरस्स पञ्चत्थिमेणं एत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे नामे नयरे होत्था !" (भगवती सूत्र, भाग ३, पृष्ठ १६५) -ब्राह्मणकुण्ड ग्राम की पश्चिम दिशा में, क्षत्रियकुण्ड ग्राम में जमालि नामक क्षत्रियकुमार रहता था। जब भगवान् के बहुशाल-चैत्य में पहुँचने की सूचना क्षत्रियकुण्ड में पहुँची, तो वहाँ से एक बड़ा जनसमूह क्षत्रियकुण्ड के बीच से होता हुआ, ब्राह्मणकुण्ड की ओर चला। जहाँ बहुशाल चैत्य था, वहाँ आया । इस भीड़ को देखकर जमालि भी वहाँ आया। 'भगवती-सूत्र' में लिखा है : ___ "जाव एगाभिमुहे खत्तियकुंडग्गामं नयरं मज्झं मझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए....” (पृष्ठ १६७ ) । भगवान् के प्रवचन से जमालि के हृदय में दीक्षा लेने की इच्छा हुई। इसलिए अपने माता-पिता से आज्ञा लेने के बाद एक विशाल जनसमूह के साथ सत्थवाहप्पभियओ पुरओ संपट्ठिया खत्तियकुडग्गामं नयरं मझ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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