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________________ ( 50 ) ( कल्पसूत्र, अनुवादक : वसन्तकुमार चट्टोपाध्याय, एम० ए० कलकत्ताविश्वविद्यालय, सन् १९५३, पृष्ठ २७ ) इन सब प्रमाणों से यही निष्कर्ष निकलता है कि, भगवान् का जन्म विदेह देश में हुआ था- -न कि, मगध देश में और न अंग देश में । इसकी पुष्टिं दिगम्बर-ग्रंथों से भी होती है । (४) दिगम्बर शास्त्रों में भी कुण्डपुर की स्थिति जम्बूद्वीप, भारतव में विदेह के अंतर्गत वरिणत है : (क) उन्मीलितावधिदशा सहसा विदित्वा तज्जन्मभक्तिभरतः प्रणतोत्तमाङ्गाः । घण्टानिनादसमवेतनिकायमुख्यां दिष्टया ययुस्तदिति कुण्डपुरं सुरेन्द्राः || १७ - ६१ ॥ -- महाकवि असग ( ६८८ ई० ) - रचित 'वर्द्धमान- चरित्र' (ख) सिद्धार्थनृपतितनयो भारतवास्ये विदेहकुण्डपुरे | देव्यां प्रियकारियां सुस्वप्नान् संप्रदृश्ये विभुः ||४|| - आचार्य पूज्यपाद (विक्रमी ५ वीं शताब्दी) - रचित 'दशभक्ति', पृष्ठ ११६ ! (ग) अथ देशोऽस्ति विस्तारी जम्बूद्वीपस्य भारते । विदेह इति विख्यातः स्वर्गखण्डसमः श्रियः ||१॥ तत्राखण्डलनेत्रालीपद्मिनीखण्डमण्डनम् । सुखांभः कुण्डमाभाति नाम्ना कुण्डपुरं पुरम् ||५|| - आचार्य जिनसेन ( विक्रमी ८ वीं शताब्दी ) - रचित ' हरिवंश पुराण' खण्ड १, सर्ग २ | (घ) ************ भरतेऽस्मिन विदेहाख्ये विषये भवनाङ्गणे ॥ २५९ ॥ राज्ञः कुण्डपुरेशस्य वसुधारापतत्पृथुः । ॥२५२॥ Jain Education International ..... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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