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________________ वैशाली वैशाली प्राचीन भारत की एक बहुत ही महत्वपूर्ण नगरी थी । वैशाली नगर और उनके अधिपति वृज्जियों का उल्लेख सभी धर्मों के ग्रन्थों में मिलता है । बाद में मिथिला से उठकर विदेह की भी राजधानी यहाँ आ गयी । (क) बौद्ध - दृष्टिकोण लिच्छिवियों के समान वज्जी (राष्ट्र) भी वैशाली के साथ सम्बद्ध था ! वैशाली केवल लिच्छिवियों की ही राजधानी नहीं थी; वरन् पूरे संघ के लिए समान रूप से महत्व वाला नगर था । राकहिल ( 'लाइफ आव बुद्ध,' पृष्ठ ६२ ) द्वारा उद्धृत एक बौद्ध परम्परा से ज्ञात होता है कि, वैशाली नगर में तीन जिले ( डिस्ट्रिक्ट्स ) थे और ये विभाग सम्भवतः किसी समय तीन वंशों की राजधानियाँ थी । ऊपर के उद्धरण से स्पष्ट है कि, वैशाली न केवल लिच्छिवियों की राजधानी थी; वरतु सम्पूर्ण वज्जी-संध की राजधानी थी । वैशाली के I (१) 'बुद्ध पूर्व का भारतीय इतिहास' ( श्यामविहारी मिश्र तथा शुकदेव विहारी मिश्र - लिखित) पृष्ठ ३७१ । भारतीय इतिहास की रूपरेखा,' भाग १, पृष्ठ ३१०-३१३ । ''हिस्ट्री आव तिरहुत', एस० एन० सिंह - लिखित पृष्ठ ३४-३५ । (२) ज्यागरैफी आव अर्ली बुद्धिज्म' पृष्ठ १२; इण्डिया,' पाँचवाँ संस्करण, पृष्ठ १२० । ( ३ ) समूचे वृजिसंघ की राजधानी भी वेसाली (वैशाली) ही थी— 'भारतीय इतिहास की रूपरेखा, भाग १, पृष्ठ ३१३ । For Private & Personal Use Only Jain Education International 'पोलिटिकल हिस्ट्री आव www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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