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________________ महाजनपद १. काशी २. कोशल ३. अंग ४. मगध ५. वज्जी ६. मल्ल ७. चेतिय ( चेदि ) ८. वंश ( वत्स ) ६. कुरु १०. पञ्चाल ११. मच्छ ( मत्स ) १२. शूरसेन १३. अस्सक (अश्वक ) १४. अवन्ती (५३) Jain Education International राजधानी वाराणसी साकेत चम्पा राजगृह वैशाली कुशीनारा और पावा सोत्थिवथी कौशाम्बी इन्दपट्टन अहिछत्र (उत्तर की ) काम्पिल्य ( दक्षिण की ) विराट मथुरा पोतन उज्जैनी • - (ग) वैदिक दृष्टिकोण बौधायन के धर्मशास्त्र में वर्णित आर्यावर्त्त वस्तुतः वही है, जिसे बाद में मज्झिम देश की संज्ञा दी गयी । वह प्रदेश जहाँ सरस्वती नदी लुप्त हो जाती है, उसके पूर्व तक और कालकवन के पश्चिम तक ( प्रयाग के आसपास का कोई प्रदेश) पारिपात्र के उत्तर तक तथा हिमालय के दक्षिण तक माना जाता था । ( १ ) पतंजलि ने अपने महाभाष्य ( १२. ४. १, ) में आर्यावर्त की जो परिभाषा दी है, वही धर्मसूत्रों और धर्मशास्त्रों में भी है । १ – मनु ने आर्यावर्त का प्रसार इस रूप में बताया है:(१) 'ज्यागरैफी आव अर्ली बुद्धिज्म', पृष्ठ १ । 'हिस्टारिकल ज्यागरैफी आव इंडिया', पृष्ठ १२ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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