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असिद्ध हेत्वाभास
२९
पणासिद्धः, कपिलो रागादिमान् अनुत्पन्नतस्वज्ञानत्वे सति पुरुषत्वात् । निरर्थविशेष्यवान् हेतुः व्यर्थविशेष्यासिद्धः, अनित्यः शब्दः कृतकत्वे सति सामान्यवत्त्वात् । निष्प्रयोजनविशेषणवान् हेतुः व्यर्थविशेषणासिद्धः, अनित्यः शब्दः सामान्यवत्वे सति कृतकत्वात् । प्रमाणेनासिद्धे पक्षे प्रयुक्तो हेतुः आश्रयासिद्ध:, अस्ति प्रधानं विश्वपरिणामित्वात् । एतत् नाद्रियते जैनः, पक्षस्य विकल्पसिद्धत्वप्रतिपादनात् ॥
है अतः यह अज्ञातासिद्ध हेतु है ) । इसी को संदिग्धासिद्ध भी कहते हैं । जिस का अस्तित्व विशेष्य में है या नही इस में सन्देह हो वह हेतु संदिग्धविशेष्यासिद्ध होता है । जैसे - कपिल राग आदि से युक्त है क्यों कि पुरुष होते हुए उसे तत्त्वज्ञान उत्पन्न नही हुआ है (यहां तत्त्वज्ञान उत्पन्न न होना यह विशेष्यकपिल इस पक्ष में है या नही यह संदिग्ध है अतः यह संदिग्धविशेष्यासिद्ध हेतु हुआ)। जिस के विशेषण का अस्तित्व में पक्ष में संदिग्ध हो वह हेतु संदिग्धविशेषणासिद्ध होता है । जैसे- कपिल राग आदि से युक्त है क्यों कि तत्त्वज्ञान उत्पन्न न होते हुए वह पुरुष है ( यहां तत्त्वज्ञान उत्पन्न न होना यह विशेषण कपिल इस पक्ष में संदिग्ध है अतः यह हेतु संदिग्धविशेषणासिद्ध हुआ ) । जिस हेतु में विशेष्य निरर्थक हो वह व्यर्थविशेष्यासिद्ध होता है। जैसे- शब्द अनित्य हैं क्योंकि वह कृतक होते हुए सामान्य से युक्त है ( यहां सामान्य से युक्त होना यह विशेष्य निरुपयोगी है अतः यह हेतु व्यर्थं विशेष्यासिद्ध हुआ ) । जिस हेतु का विशेषण निरुपयोगी हो वह व्यर्थ विशेषणा सिद्ध होता है । जैसेशब्द अनित्य है क्यों कि वह सामान्ययुक्त होते हुए कृतक है ( यहां सामान्ययुक्त होते हुए यह विशेषण निरुपयोगी है अतः यह हेतु व्यर्थ विशेषणासिद्ध हुआ ) | जो पक्ष प्रमाण से सिद्ध न हुआ हो उस के विषय में प्रयुक्त हेतु आश्रयासिद्ध होता है । जैसे- प्रधान (प्रकृति) का अस्तित्व है क्यों कि यह विश्व उसी का परिणाम है ( विकसित स्वरूप है ) ( यहां प्रकृति इस पक्ष का अस्तित्व प्रमाणसिद्ध नही है अतः इस के बारे में सभी हेतु आश्रयासिद्ध होंगे) जैनों द्वारा इस को ( आश्रयासिद्ध हेत्वाभास को ) मान्यता नही दी जाती क्योंकि वे पक्ष को विकल्पसिद्ध भी मानते हैं ( जिस का अस्तित्व है या नही इस के विषय में सन्देह हो वह पक्ष विकल्पसिद्ध होता है-उस के विषय में भी अनुमान हो सकता है ऐसा जैनों का मत है ) !
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