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__ (३) मार्गणाओमां जीवद्रव्योना प्रमाण (संख्या)नु निरूपण स्थूलथी तो आवे छे पण घणा अधिकारोमा प्रत्येक मार्गणामां चोक्कस जीवद्रव्योनी संख्यानु प्रमाण जाणवु अगत्यनु छ तेथी मुनिराजश्री ११ गाथाओमां द्रव्यप्रमाणप्रकरणनी रचना करी जीवद्रव्योर्नु प्रमाण संकलित कयु छ अने तेना उपर सामान्यविवेचनरूप संस्कृतमां पोतेज अवचूरि रची छ,आम आ परिशिष्ट नानकडी ग्रंथरचनारूप अने अगत्यनु छ. __आ गहन विषयोना स्पष्टीकरणनो प्रयत्न जोतां लागे छ के टीकाकार जाणे पत्थारने पल्लवित न करी रह्या होय. पूर्वकाळना श्रुतभक्त श्रमणोपसकोना पगले पिंडवाडानी भारतीय प्राच्यतत्वप्रकाशन समितिअपरमतारक अने प्रकाशक श्रुतने भाविजीवो सुधी पहोंचाडवा अनुरक्षण-प्रकाशन अने प्रचारद्वारा श्रुतनी परंपरा अविच्छिन्न राखवानु सुकृत हाथ धयु छे ।।
अंते, सुखना भ्रमथी पापना अने दुःखना राहे दोडी रहेला जगतने आ ताविक-आध्यात्मिक ग्रन्थो दीवादांडीरूप बनो. मोक्षाभिलाषी भव्यात्माओ आ ग्रंथरत्नना वांचनथी कर्मनी कुटीलताने समजी अप्रमत्त-जागृतिमय जीवन जीवे, आत्मा अने कर्मना अनादि संयोगने भेदनारी समता-सामायिकभाव प्राप्त करे अज अक मंगलकामना ।
शुभस्थल : शा. सकरचंद छोटालाल बं.नं.१३ आश्रमरोड, अमदावाद १३. वी० सं० २४९२ महा सुदर रविवार स्वर्गीय परमगुरुदेव दानसूरीश्वर
स्वर्गारोहण शुभदिन
भवोदधितारक संयमत्यागतपोमूर्ति पूजनीय आचार्य देव श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराजाना विद्वान-विनीत-शिष्यरत्न पू०पं० भानुविजयजी गणिवर्यनां शिष्यरत्न स्व० पृ० पं० श्री पद्मविजयजी गणिवर्य शिष्याणु मुनि
मित्रानन्दविजय
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