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C मोहनीयकर्मनी असंख्य-संख्यभागवगेरे स्थितिबन्ध वृद्धिहानीओ अने स्थितिबन्ध अवस्थितआस्तव्यनाबंधकोथी उत्पन्न थतां भांगा केटला थाय ते जागछे तो ते माटे १. यन्त्रानुक्रममाथी सातकर्मना स्थितिबंधवृद्धि आदिना बंधकोना भंगविचयन यंत्र काढQ,२. पूर्वनी जेम लोभापायमार्गणाना खानानां जोतां २१८७ भांगा जागावा मलशे. अनो हेतु जाणवा माटे गाथाना आधारे टीका जोवी.
आम यंत्रोनी जोवानी रीत जाण्या पछी सागर जेवा विशाल ग्रंथमांथी जो ते पदार्थन अन्वेषण सहेलाईथी करी शकाय छे.
(११) बीजा भूयस्काराधिकारना अने पाचमा वृद्धिबंधअधिकारना भंगविचयद्वारमा तेमज छठा अध्यवसायसमुदाहारअधिकारना स्थितिसमुदाहार द्वारमा आवती क्लिष्ट गणितप्रकियाने मुनिश्रीओ सुयोग्य शब्ददेह आपी सुगम बनावी छे.
(१२) कोईक स्थळे अनेक मतो प्रवर्तता होई ते सर्वमतोनो निर्देशरूपे मूलगाथामां संग्रह फावामां आव्यो छे. टीकाकारे ते सर्वमतो ते ते शास्त्रपाठो साथे टीकानां रजू कर्म छे. जुओपृ० ९४, गाथा ७२ नी टोका.
(१३) आ ग्रंथमा आवता जरूरी वियोने तर्क-न्यायशैलीनी एरणपर चढाववानु पण मुनिश्री चूक्या नथी, ओ रीते विषयनी विषमताने अने विषयनी साने संभक्ति दलीलोने भेदीने सत्यार्य साबीत करायो छे. दा० त० जुओ ५ मो वृद्धिअधिकार पृ० ५५५५५६ गाथा ७४७७४८ नो टोका. जुओ. ४ था पदनिक्षेपाधिकार पृ० ५३०.५३१ गाथा ७०६ नो टोका. आ रीते अनेकस्थलो तसिद्ध लेखीनीथी आलेख्या छे.
(१४) केटलेक स्थळे कोई अक चोक्कस अने इष्टविवक्षा-अभिप्रायथी आखा य विषयनु निरूपणकरी ते पदार्थर्नु बीजी विवक्षाथी पण निरूपण थई शके अने कोई तेम करे तो ओ अविरुद्ध छे ओ जणाववा पूर्वक बीजी विवक्षार्नु रहस्य पग विद्वान मुनिराजे व्यक्त कयु छे. जुओ पृ० ४५३.४५६ गा० ५७५. (१५.) टीकाकार विद्वान मुनिराजे पदायोंनु-विषयोनु कयारेक झीगवटभ विवेचन स्वच्छ
प्रतिभाथी कयु छे आ चारेक मुद्दाओ नमुनारूपे अहिं रजू करु छु. (i) मूळ आठप्रकृतिमा उत्कृष्टस्थितिबंधनाछेल्ला निषेक सुधी कर्मदलिकोनी निषेक रचना विशेषहीन
क्रमे थाय छ. आ पदार्थने युक्तिपूर्वक घटापतांलगभग १००श्लोकप्रमाग पूर्वपक्षकों छे, तेमां अनेक वितर्कोकर्या छे अने पछी तेनासचोट समाधानो आप्या छे . जुओ प० ३३-३७. पृट ३६ उपर पूर्वपक्षने अनुसारे दठिकर व नानो ख्याल आस्थापना चित्र पण आप्यु छे.
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