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प्रकाशक की ओर से
[११ आत्मकल्याण में हेतुभूतस्वाध्याय के लिये प्रस्तुत ग्रन्थराशि अत्यन्त उपयोगी है इसका विशेष खयाल ग्रन्थों की प्रस्तावना व विषयपरिचय पढने पर पाठक पा सकेंगे।
आत्मिक शान्ति देने वाले तात्त्विक आध्यात्मिक ग्रन्थों का आलेखन करके मुनिभगवंतों ने अपना कर्तव्य बजाया है। आलेखित ग्रन्थों को ताडपत्र व ताम्रपत्र आदि पर प्रतिलेखित करवाकर ज्ञानभंडारों में सुरक्षित रखना व यन्त्रालय आदि द्वारा मुद्रित करवाकर मुमुक्षुजनसमाज में उसका प्रचार करना यह हमारा गृहस्थों का फर्ज है। शास्त्रों में सुनते हैं कि सम्यग ज्ञानको पढने पढाने व लिखने लिखाने वालों की भाँति उसका रक्षण व प्रचार करने वाले भी केवलज्ञानादि आत्मरिद्धि के भोक्ता बनते हैं । इसी शास्त्रवचन को स्मरण में रखकर हमने इन शास्त्रग्रन्थों के प्रकाशन का प्रस्तुत कार्य हाथ में लिया है । ग्रन्थों का प्रकाशन व प्रचारादि सुचारु रूप से हो यह हमारी समिति का उद्देश है। हम गच्छाधिपति सिद्धान्तमहोदधि परमपूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराज से अत्यन्त उपकृत हैं जिन्होंने जैनशासन के निधानरूप इस भव्यातिभव्य कर्मसाहित्य का सर्जन करवाया व जिनकी असीम कृपा से हमने श्रुतभक्ति का अपूर्व अलभ्य लाभ पाया, उन पुण्यपुरुष के पुनीत. चरणों में वन्दन कर हम अपनी आत्मा को धन्य मानते है ।
पदार्थसंग्रहकार विद्वान मुनिवरों, गाथाकार मुनिराज, टीका-विवेचनकार मुनिराज इन सब महात्माओं को वन्दना करते हैं । जिन्होंने अथाग परिश्रम लेकर कर्मसिद्धांत को विशद रूप दिया है । तथा अपने अमूल्यसमय का व्यय करके इस 'स्थितिवन्ध' ग्रन्थ की सुन्दरविशद प्रस्तावना लिखकर पू० मुनिराज श्री मित्रानन्दविजयजी महाराज ने बडा अनुग्रह किया है इन सब पूज्य पुरुषों के प्रति सवन्दन कृतज्ञता प्रदर्शित करते हैं इस स्थितिबन्ध' ग्रन्थ के प्रकाशन में रू०१००००) जैसे प्रचुर ज्ञानद्रव्य का विनियोग कर श्री पिण्डवाडाश्वे० मू० जैन संघने हमारी समिति को बड़ा सहयोग दिया है। हम इस पूजनीय श्रीसंघ के आभारी हैं । इस प्रकाशन कार्य में जिन्होंने अपने तन मन धन का स्वल्प भी व्यय किया है उन सबको भी वारवार धन्यवाद ।
इस अवसर पर ज्ञानोदय प्रेस के मैनेजर श्रीयुत फतेहचन्दजी जैन व प्रेसकॉपी करने वाले श्री पन्नालालजी सी० जैन बाफना व प्रेस के अन्य कर्मचारी भी स्मृति पथ में आ रहे हैं जिन्होंने इस कार्य में आत्मीयता प्रकट की है।
हस्ताक्षर पिन्उवाडा
१ शा० लालचन्द छगनलालजी (मन्त्री) म्टे. सिरोहीरोड ( राजस्थान ) २ शा० शान्तिलाल सोमचन्द (भाणाभाई) चोकसी (मन्त्री) ब्रांच-१३५/३७ जौहरीबजार
३ शा० समरथमल रायचन्दजी (मन्त्री) बम्बई २
भारतीय-प्राच्य-तत्त्व प्रकाशन समिति.
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