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________________ १० ] प्रकाशक की ओर से प्रस्तुत कर्मसाहित्य के प्रचार-प्रकाशनादि विराट कार्य की जिम्मेवारी को समझकर पिण्डवाडा के उत्साही भाईयों ने (१) शेठ रमणलाल दलसुखभाई खंभात (५) शा भृरमलजी सरेमलजी पिण्डवाडा (२) शा समरथमल रायचंदजी पिण्डवाडा (६) ,, मन्नालाल रिखबाजी लुणावा (३) शा लालचंद छगनलालजी , (७) ,, हिम्मतमल रुघनाथमलजी बेडा (४) शा खूबचंद अचलदासजी , इन ७ सदस्यों की वि० सं० २०१८ में 'भारतीय-प्राच्य-तत्व-प्रकाशन-समिति' की स्थापना की । समिति के सदस्यों ने कर्मसाहित्य को जयपुर और ब्यावर में छपवाना शुरु किया करीब तीन साल काम चलता रहा, काम सुन्दर होने पर भी जिस गति से हो रहा था सम्भव है उस गति से आज तक एक ग्रन्थ भी पुरा नहीं छप पाता अतः छपाई शीघ्र व सुन्दर हो इस वास्ते समिति के सदस्यों ने समिति का निजी प्रेस पिण्डवाडा में लगवाया । साहित्य व छपाई आदि का कार्य समिति के सदस्यों के शुभ प्रयत्न से ठीक तरह से चलता था व सदस्यों की उदारता व प्रयत्न से आर्थिक समस्या भी हल हो रही थी। मगर कर्मसाहित्य का प्रकाशन व प्रचार आदि का प्रस्तुत कार्य अति विशाल होने से सदस्यों की संख्या बढाना आवश्यक समझकर सं० २०२१ की साल में शेठ जीवतलाल प्रतापशी आदि महानुभावों को समिति के सदस्य बनाएआज हमारी समिति का ट्रस्टीमण्डल इस प्रकार है१ शेठ रमणलाल दलसुखभाई (प्रमुख) खंभात २ शेठ माणेकलाल चुनीलाल बम्बई ३ शेठ जीवतलाल प्रतापशी ४ शा० खूबचंद अचलदासजी पिण्डवाडा ५ शा० समरथमल रायचंदजी (मंत्री) पिण्डवाडा ६ शा० शान्तिलाल सोमचन्द ( भाणाभाई ) (मंत्री) खंभात ७ शा० लालचन्द छगनलालजी (मंत्री) पिण्डवाडा ८ शेठ रमणलाल वजेचन्द अहमदाबाद ९ शा० हिम्मतमल रुगनाथमलजी बेडा १० शेठ जेठाभाई चुनीलाल घीवाले बम्बई ११ शा० इन्द्रमल हीराचंदजी पिण्डवाडा १२ शा० मन्नालालजी रिखबाजी लुणावा ज्ञानपिपासु जनता को जानकर हर्ष होगा कि स्वल्पकाल में 'खवगसेढी' व 'ठिइबंधो' ये दो ग्रन्थरत्न हम पाठकों के करकमल में अर्पित कर रहे हैं 'रसबंधो' तथा 'पएसपंधो' जो दो ग्रन्थ छप रहे हैं वे भी स्वल्पसमय में पाठकों के करकमलों में अर्पित किए जायेंगे। बम्बई For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001852
Book TitleThiaibandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsuri
PublisherBharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages762
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size21 MB
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