________________
९१
भाते हैं। वर्तमान वर्षप्रणालीपर करनेसे प्रथम के लिए शुक्रवार, दूसरेके लिए बृहस्पतिवार तीसरेके लिए सोमवार और चौथेके लिए रविवार आते हैं । अर्थात् गतवर्ष प्रणालीपर कोई तिथि शुद्ध नहीं उतरती और वर्तमान वर्ष - प्रणालीपर केवल तीसरी शुद्ध उतरती है । दूसरी तिथिका शेष विस्तार भी ठीक नहीं उतरता । दोनों प्रणालियोंपर नक्षत्र मृगशिरा आता है ।
इसी तरह सूक्तमुक्तावली, ज्ञानवावनी और कर्मप्रकृतिकी तिथियाँ भी जाँच करनेपर ठीक नहीं उतरीं । इसपर डा० सा० लिखते हैं " अर्द्ध-कथाकी ही भाँति शेष कृतियोंका सम्पादन प्रायः एकाध प्रतिके ही आधारपर किया गया है और कदाचित् उनके लिपिकारोंने भी प्रतिलिपियाँ यथेष्ट सावधानीके साथ नहीं की हैं। 39 परन्तु हमने पाँच प्रतिलिपियों के आधारसे अर्द्ध-कथानकके पाठ ठीक किये हैं, और उनमें केवल एक ही स्थल ऐसा है जिसमें रविकी जगह शनि होना चाहिए, परन्तु शनिसे भी गणना ठीक नहीं उतरती ।
हमारी गणित - ज्योतिष में कोई गति नहीं है, इसलिए हम इस आँचकी कोई जाँच नहीं कर सकते; परन्तु यह माननेको भी जी नहीं चाहता कि कविने अपनी रचनाओंमें जो तिथि, नक्षत्र, वार, दिये हैं वे भी ठीक नहीं दिये होंगे जब कि वे स्वयं भी ज्योतिष पढ़े थे । हम आशा करते हैं कि इस विषयके जानकार परिश्रम करके इसपर विशेष प्रकाश डालनेकी कृपा करेंगे ।
किंवदन्तियाँ
बनारसीविलास के प्रारम्भमें (सन् १९०५ ) मैंने बनारसीदासजीका विस्तृतजीवनचरित लिखा था और उसके अन्त में कुछ भक्तों ओर भावुक जनोंसे सुन-सुनाकर उनके सम्बन्धकी नीचे लिखी सात किंवदन्तियाँ या जनश्रुतियाँ संग्रह कर दी थीं१ शाहजहाँ के साथ शतरंज खेलना और उनके बुलानेपर एक दिन, मस्तक न झुकाना पड़े इस खयालसे, छोटे दरवाजेसे पैर आगे करके उनकी बैठकमै पहुँचना ।
२ जहाँगीरको सलाम करनेके लिए कहनेपर 'ग्यानी पातशाह ताको मेरी तसलीम है' आदि कवित्त पढ़कर सुनाना ।
३ एक सिपाहीसे तमाचे खाकर भी उसकी सिफारिश करके बादशाह से तनख्वाह बढ़वा देना ।
Jain Education International
―――
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org