________________ शब्द-सूजी 263 व्याप्ति --नियामक सम्बन्ध 12 168 168 161, 168 168 ध्याप्य ध्याय्य व्यापकभाव श-ष 10 10 सब्द -प्रकाश गुप्य ---पौद्गलिक शरभ शरीर -औदारिक -~-कार्मण ..~~-कर्म का कार्य-कारण-भाव ---सजीव-निर्जीव --सन्तान आदि शतपथब्राह्मण 129 97 32, 39 32, 39 87 विक्रिया 123 विज्ञाता विज्ञान -क्षणिक नहीं ---सम्तात 59 .अनित्य, उससे प्रात्मा भी अनित्य 154 --नित्यानित्य 157 विज्ञानघन 5, 24, 43, 46, 48, 152 विज्ञानवादी विद्याधर 123 विनाश 104,111 विपक्ष विपर्यय .15,73 विरुद्ध 166 विरुद्धाव्यभिचारी 156 विशेष घीतराग 109, 169, 177 वृक्षायुर्वेद 95 वेद 6, 24, 30, 67, 73, 94, 103, 121, 126, 128, 151, 152, 159, 176 वेदनीय 166 बेदवचन 93 वेदवाक्य 23, 24, 25, 27, 46, 65,67, 101, 119, 133, 150, 152, 158, 176 -संगति 42 --संगतार्थ समन्वय 23,46 -वेदवाक्य का अर्थ विधि प्रादि . 47 वेदान्त व्यक्त 67 व्यवहार नय 78, 144 व्यापक 161, 168 झूद्र 105 159 128 72,77 57, 76 शून्यता शून्यवाद शन्यवादो शृगाल श्रुति षड्दर्शनसमुत्रय षोडशी 94 122 127 संघात सन्तान संयुक्त निकाय संयोग संशय सपक्ष संसार -पर्याय का नाश 20 73, 87 39,46 161 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org