________________ 262 भणधरवाद यम यमराज याज्ञवल्क्य योग -तीन भेद -द्रव्य-भाव योगदृष्टिसमुच्चय योगशिखोपनिषद् योनिप्राभूत रसाविभाग 121, 126 101 5, 27 143 144 144 166 21 170 95 147 रूप मीमांसक मुक्त 104, 162, 163 --का विषयभोग नहीं 165 . -इन्द्रिय बिना का ज्ञान 66 -परमज्ञानी 166 -सुखी 165 ...-सर्वज्ञ 166 -~-अजीब नहीं 167 --आवरणों का अभाव -पुण्य नहीं होने पर भी सुखी 170 -नित्य 162 ----अव्यापक 163 मुक्तात्मा 169, 170 मक्तावस्था 168 मक्ति 46 मुण्डक 47, 66 मोक्ष 35, 39, 103, 105, ____ 135, 159, 161, 163, 173, 176, 179 का जीव पुनः संसारी नहीं बनता 111 -कृतक होने पर भी नित्य –में बन्ध नहीं 112 --का स्थान 113 मिथ्यात्वादि 112, 143 मेचक मणि 135 मेतार्य 152 मेरु 133 मैत्रायणी मोहनीय 145 लिंग लिंगी लोक लोकतत्वनिर्णय 4, 13 4,13 116, 117 95 90 115 वनस्पति -चेतन है वरुण 121, 126 वसन्तपुर 123 वस्तु 98 --पदार्थ-त्रि-स्वभाव 26, 155, 163, 175 -सर्वमय 28 -सिद्धि के स्वतः आदि विकल्प 68,78 --अन्य निरपेक्ष 78 -दर्शन 79 -अस्तित्व 69,79 --नित्यानित्य 157 -समान-असमान 100 वायु -साधक अनुमान 88 -सचेतन वायुभूति 49,153 वासना मौर्य 154 मौर्यपुत्र 121 य-र-ल 90 यजमान यजुर्वेद यदृच्छा 121 21 42 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org