________________ 258 गणधरवाव 50 चेतना चैतन्य छान्दोग्य 50, 51 कार्य-कारण भाव काल कुबेर कुमारिल कृतक केवलज्ञान केवलदर्शन केवली केशोण्डुक 168 6, 42, 109 121 5 162, 174 131, 160 160 12 ____90 83 71, 80 127 59, 60 101 क्षणिक क्षयोपशम 125 - 63 28 रक्ष-ग खर-विषाण मुण -और गुणी का भेदाभेद -गुणी बिना नहीं है -गुणी भाव गुणी गुप्ति गोत्रकर्म ग्रह-विकार ग्रिफिथ जल -सचेतन है जात -प्रादि चार विकल्प जाति -परभव में वह नहीं है -स्मरण जिनभद्र जीव --के अस्तित्व का सन्देह --प्रत्यक्षादि से सिद्ध नहीं है -सिद्धि --प्रत्यक्ष - अजीव का प्रतिपक्षी -निषेध्य होने से सिद्ध -आश्रय शरीर -पद सार्थक है -पर्यायें -लक्षण भिन्न - सर्वज्ञ-वचन से सिद्ध 18 102 125 121 20 20 घडा ---नित्यानित्व 156 21 वन्द्र + 8 -विमान --अग्नि का गोला -मायिक -~-अनेक हैं -व्यापक नहीं है 23 ---नित्यानित्य 25, 100 -कर्म के साथ अनादि सम्बन्ध 41 ~ और शरीर एक ही है .-निराकरण -मृत शरीर में नहीं -समानता-असमानता 100 --के बन्ध-मोक्ष 103, 163 -सशरीर-शरीर 103 122, 128 / 122 123 123 123 5 114 52 चम्पा चार्वाक लेतन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org