________________ शब्द-सूची 257. 127 71, 80, 104 उक्थ उत्पत्ति उपनिषद् उपमान उपयोग उपलब्धि उपशम श्रेणी 23 146 ऋग्वेद हठ का -सन्तान अनादि 105 --सिद्धि 106, 138 -अमूर्त नहीं है 139 -प्रदृष्ट होने पर भी मूर्त 141 -का नाश 162 - आठ मूल प्रकृति 145 --उत्तर प्रकृति 145 -ध्रुवबन्धिनी 145 -अध्र वबन्धिनी 145 -संक्रम का नियम 145 --ग्रहण की प्रक्रिया 146 -वर्गणा 146 -प्रकृति आदि 147 -मुक्तात्मा में प्रभाव 166 -जीव के साथ अनादि सम्बन्ध 160 -अनादि संयोग का नाश 161 --नाश से जीव का नाश नहीं 161 कर्मप्रकृति 147 कर्मप्रकृति चुरिण 147 कषाय 143 कारण 94, 139, 140,161 -समवायी उपादान 37 -निमित्त -—ईश्वरादि नहीं है -सदृश कार्य की चर्चा 94 -से विलक्षण कार्य 95 -वैचित्य से कार्यवैचित्य 95 अनुमान 138 कार्मण 31, 115 -सिद्धि 32 -स्थूल देह से भिन्न 40 कार्य 94, 138, 139, 161 --ग्रनुमान 138 कार्य-कारण -सादृश्य की चर्चा 94 करण 48, 106, 117, 166, 168 -पौद्गलिक है 168 97 कर्म 15, 29, 46,95 -के अस्तित्व की चर्चा 29 -संशय 30 -पुण्य-पाप 30, 137, 138, 139 -प्रत्यक्ष है -साधक अनुमान --धर्म-अधर्म 40 -मूर्त होने पर भी अमूर्त प्रात्मा में असर करता है / 41 -मूर्त है 37 -परिणामी है 37 -विचित्र है 38 •-के हेतु 95, 143 —की विचित्रता 95 -पोद्गलिक 96 -के अभाव में संसार नहीं 37 42 30 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org