________________ 256 गणधरवाद 42 113 176 अव्यक्त-प्रधान अशरीर असत् अहंप्रत्यय -देहविषयक नहीं है अहिंसा --- सर्वत्र जीव होने पर भी सम्भव अहेतुक 45 आ -नित्यानित्य -मुक्ति का स्थान 113 -अरूपी होने पर भी सक्रिय 114, 154 ---उपलब्धि कर्ता 130 -स्वतन्त्र द्रव्य 153 -अनेक हैं 153 ---अद्वैत आत्मा का संसरण नहीं है 153 - लक्षण भेद 154 -देहप्रमाण 154 -एकान्त नित्य में कर्तृत्वादि / घटित नहीं होते हैं 155 -अज्ञानी (जड) का संसरण नहीं है 155 -नित्यानित्य 155 ---ज्ञानस्वरूप 169 -परदेहगत का अनुमान 169 प्राप्त 5, 129 प्राहार -परिणाम 147 प्राकाश 6, 10, 21,98, 108, 109, 163, 168 88 92 6 13 -साधक अनुमान -~-निर्जीव है प्रागम 4,73 -दो भेद --परस्पर विरोध अत्मा 6, 41, 46, 52, 104 --सशरीर-अशरीर -सांख्यमत में --का अन्य देह में अनुमान - साधक अनुमान - कर्ता, अधिष्ठाता, आदाता, भोक्ता, अर्थी 14,58 -संशय का विषय होने से जीव है 15 -- संसारी भूर्त भी है 41 -भूतभिन्न 53, 55 -- इन्द्रियाँ प्रात्म। नहीं हैं 53. 130 --क्षणिक नहीं है --उत्पादादि युक्त 62 -व्यापक नहीं है 113 13 121, 127 इन्द्रजालिक 67 इन्द्रभूति 3, 29, 49, 153, 154 इन्द्रिय -ग्राहक नहीं 54 -उपलब्धिकर्ता नहीं है 130 -कारण-द्वार है 130 -बिना भी ज्ञान 168 --जन्य ज्ञान परोक्ष 131 ईशावास्योपनिषद ईश्वर 14. 42, 46 58 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org