________________ 212 गणधरवाद इस वृत्ति की प्रतियों में सबसे प्राचीन है, 1185 का निर्देश नहीं है; केवल 85 सूचक अक्षर स्पष्ट हैं। अतः 'जैन साहित्य नो इतिहास के आधार पर निर्दिष्ट 1185 के समय पर पुनः विचार होना चाहिये। (6) प्रस्तावना में कहा गया है कि प्राचार्य हेमचन्द्र मलधारी के हस्ताक्षर की प्रति खम्भात के भण्डार में है, किन्तु इस प्रति को प्रशस्ति में प्रयुक्त विशेषणों को देखकर यह अनुमान होता है कि शायद वह प्रति मलधारी के हाथों की न हो / हां, यह सम्भव है कि उन्होंने किसी और से वह प्रति अपने सामने लिखाई हो तथा उस लिखने वाले ने उन विशेषणों का प्रयोग किया हो / अतः हस्तलिपि के प्रश्न पर भी पुनः विचार होना चाहिये / -सुखलाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org