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________________ 115 गणधरवाद [ गणधर को ही शरीर की प्रतिनियत विशिष्ट क्रिया में व्यापार-रूप मानना चाहिए। इस से प्रात्मा सक्रिय ही सिद्ध होती है / [1847-48] __ मण्डिक-सकर्म होने से संसारी जीव सक्रिय सिद्ध हुआ, किन्तु मुक्तात्मा में तो कर्म का अभाव है, अतः वह निष्क्रिय हो होगा। फिर भी आप यदि उसे सक्रिय स्वीकार करें तो इसका क्या कारण है ? __ भगवान्-मैंने तुम्हें बताया है कि मुक्तात्मा की गति-क्रिया स्वाभाविक तथा गति-परिणाम के कारण होती है। मैं यह भी कथन कर चुका हूँ कि कर्म-विनाश से जीव जैसे सिद्धत्व-रूप धर्म को प्राप्त करता है वैसे तथाविध गति-परिणाम को भी प्राप्त करता है / [1846] ___मण्डिक - आपका यह कथन युक्तियुक्त है कि मुक्तात्मा में गति है, किन्तु अब यह प्रश्न उपस्थित होता है कि मुक्तात्मा सिद्धालय से भी आगे क्यों गति नहीं करती ? भगवान् --क्योंकि उससे आगे गति-सहायक द्रव्य धर्मास्तिकाय का अभाव है। मण्डिक - धर्मास्तिकाय उससे आगे क्यों नहीं है ? भगवान्-गति-सहायक धर्मास्तिकाय लोक में ही है, अलोक में नहीं। सिद्धालय से आगे अलोक है, अतः उसमें धर्मास्तिकाय नहीं है। इसलिए उससे आगे जीव की गति नहीं होती। [1850] ___ मण्डिक-इस बात में क्या प्रमाण है कि लोक से भिन्न रूप अलोक का अस्तित्व है ? अलोक के अस्तित्व में प्रसारण भगवान्-लोक का विपक्ष होना चाहिए, क्योंकि यह व्युत्पत्ति युक्त शुद्ध पद का अभिधेय है / जो व्युत्पत्ति युक्त शुद्ध पद का अभिधेय होता है उसका विपक्ष अवश्य होता है। जैसे घट का विपक्ष अघट है। इसी प्रकार लोक का विपक्ष अलोक होना चाहिए। मण्डिक-जो लोक नहीं वह अलोक है। अर्थात घटादि पदार्थों में से किसी को भी अलोक कहा जा सकता है। उन सब से स्वतन्त्र अलोक मानने की क्या आवश्यकता है ? भगवान्-अलोक को घटादि पदार्थों से स्वतन्त्र मानने की आवश्यकता इसलिए है कि यहाँ पर्यु दास निषेध अभिप्रेत है। अतः विपक्ष निषेध्य के अनुरूप ही भी उसके अनुरूप ही होना चाहिए। जैसे कि 'यह अपण्डित है' इस कथन से केवल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001850
Book TitleGandharwad
Original Sutra AuthorJinbhadragani Kshamashraman
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Canon
File Size9 MB
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