________________ 114 गणधरवाद [ गणधर - अपि च, मुक्त जीव की ऊर्ध्व-गति के समर्थन के लिए शास्त्र में अनेक दृष्टान्त भी दिए गए हैं। वे ये हैं—तुम्बड़ा, एरण्ड के बीज, अग्नि, धूम तथा धनुष से छोड़े गए बाण में जैसे पूर्व प्रयोग से गति होती है, वैसे ही सिद्ध की गति समझनी चाहिए। इस विषय को समझने के लिए कुछ स्पष्टीकरण आवश्यक है। तूम्बड़े पर मिट्टी के अनेक लेप कर यदि उसे पानी में डुबा दिया जाए तो क्रमशः उन लेपों के उतर जाने पर जैसे तूम्बड़ा पानी के ऊपर आ जाता है, वैसे जीव भी कर्म-लेप से मुक्त होकर उर्ध्वगति करता है, कोष में विद्यमान एरण्ड बीज-कोष के टूट जाने पर जैसे ऊपर उड़ता है वैसे ही जीव भी कर्म-कोष से बाहर निकलता है और स्वाभाविकरूपेण ऊर्ध्वगमन करता है जैसे अग्नि और धूम स्वभावतः ही ऊपर जाते हैं वैसे ही जीव भी स्वभावतः तथा गति-परिणाम से ऊर्ध्व-गमन करता है / जैसे धनुष खींच कर बाण चलाने से अथवा कुम्भार के चक्र की पूर्व-प्रयोग से गति होती है, वैसे जीव भी ऊर्ध्वगति करता है / [1844] मण्डिक-क्या अरूपी द्रव्य भी सक्रिय होता है ? अाकाशादि अरूपो पदार्थ निष्क्रिय ही हैं तो आप आत्मा को सक्रिय कैसे मानते हैं ? आत्मा अरूपी होकर भी सक्रिय ___ भगवान् -मैं तुमसे पूछता हूँ कि जब अरूपी आकाश अचेतन है तो अरूपी आत्मा चेतन क्यों है ? अरूपी होने पर भी जैसे चैतन्य आत्मा का विशेष धर्म है वैसे ही सक्रियत्व भी आत्मा का विशेष धर्म है / इस में विरोध कहाँ है ? [1845] पुनश्च, अनुमान से भी प्रात्मा का सक्रियत्व सिद्ध होता है। वह इस प्रकार है—ात्मा सक्रिय है, कर्ता होने से, कुम्भकार के समान / अथवा भोक्ता होने से आत्मा सक्रिय है। अथवा देह-परिस्पन्द के प्रत्यक्ष होने से आत्मा सक्रिय होनी चाहिए। जैसे यन्त्र-पुरुष में परिस्पन्द दृग्गोचर होता है, इसलिए वह सक्रिय है; इसी प्रकार आत्मा में भी देह-परिस्पन्द प्रत्यक्ष होने से वह भी सक्रिय है। [1846] मण्डिक–परिस्पन्द देह में है अतः उसे सक्रिय मानना चाहिए, आत्मा को नहीं। भगवान्-देह के परिस्पन्द में आत्मा का प्रयत्न कारण-रूप है, अतः आत्मा को सक्रिय माना गया है। ___मण्डिक-किन्तु प्रयत्न तो क्रिया नहीं है, अतः प्रयत्न के कारण आत्मा सक्रिय नहीं मानी जा सकती। 1. लाउ य एरण्डफले अग्गी धूमो य इसु धणुविमुक्को / गइ पुव्वपयोगेणं एवं सिद्धाण वि गई उ // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org