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________________ गणधरवाद [ गणधर कि इस शरीर आदि के वैचित्र्य की उत्पत्ति स्वाभाविक है-स्वभाव से ही होती है, उसके कारण के रूप में कर्म जैसी किसी वस्तु को मानने की आवश्यकता नहीं है। स्वभाववाद का निराकरण भगवान्-स्वभाव से ही सब की उत्पत्ति स्वीकार करने में कई दोष हैं। इसके अतिरिक्त वेद-वाक्यों का तुम जो अर्थ समझते हो, वह ठीक भी नहीं है, अतः स्वभाव से जगद्-वैचित्र्य मानना अयुक्त है। - अग्निभूति-स्वभाव से उत्पत्ति कैसे सम्भव नहीं है ? किसी ऋषि ने भी कहा है-- "भावों(वस्तुओं)की उत्पत्ति में किसी भी हेतु की अपेक्षा नहीं है, यह बात स्वभाववादी कह गए हैं / वे वस्तु की उत्पत्ति में 'स्व' को भी कारण नहीं मानते / वे कहते हैं कि कमल कोमल है, काँटा कठोर है, मयूरपिच्छ विचित्ररंगी है और चन्द्रिका धवल है, यह विश्व-वैचित्र्य कौन करता है ? यह सब कुछ स्वभाव से ही होता है / अतः यह बात माननी चाहिए कि जगत् में जो कुछ कादाचित्क है (कभी होता है कभी नहीं) उसका कोई हेतु नहीं है। जैसे उपयुक्त कथनानुसार काँटे की तीक्ष्णता का कोई हेतु नहीं, वैसे ही जीव के सुख-दुःख का भी कोई हेतु नही है, क्योंकि वे कभी-कभी होते हैं।"1 इस कथन से भी ज्ञात होता है कि विश्व की विचित्रता कर्म से नहीं अपितु स्वभाव से ही होती है। भगवान्-तुम्हारी यह मान्यता दूषित है। तुम जिसे स्वभाव कहते हो, मैं तुमसे पूछता हूँ कि वह क्या है ? क्या वह वस्तु-विशेष है ? तुम अकारणता को स्वभाव कहते हो अथवा वस्तु-धर्म को ? अग्निभूति-स्वभाव को वस्तु-विशेष माने तो इस में क्या दोष है ? भगवान्-वस्तु-विशेष रूप स्वभाव का साधक कोई प्रमाण नहीं है। अतः कर्म के समान तुम्हें स्वभाव को भी स्वीकार नहीं करना चाहिए। यदि तुम 1. 'सर्वहेतुनिराशंसं भावानां जन्म वर्ण्यते / स्वभावादिभिस्ते हि नाहुः स्वमपि कारणम् / / राजीवकण्टकादीनां वैचित्र्यं कः करोति हि ? / मयूरचन्द्रिकादिर्वा विचित्रः केन निर्मितः // कादाचित्कं यदत्रास्ति निःशेषं तदहेतकम् / यथा कण्टकतक्ष्ण्यादि तथा चैते सुखादयः / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001850
Book TitleGandharwad
Original Sutra AuthorJinbhadragani Kshamashraman
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Canon
File Size9 MB
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