________________ अग्निभूति ] कर्म-अस्तित्व-चर्चा 35 तुम्हारे मतानुसार पाप कर्म करने वाले भी नए कर्मों का ग्रहण नहीं करते, फिर तो मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष प्राप्त होना चाहिए / संसार में केवल कुछ धर्मात्मा शेष रह जाएंगे जो कि अहष्ट के निमित्त दानादि क्रियाएँ करते हैं। किन्तु हम विश्व में अनन्त जीव देखते हैं और उन में भी अधर्मात्मा ही अधिक हैं अतः मानना होगा कि समस्त क्रियाओं का दृष्ट के अतिरिक्त अदृष्ट कर्म रूप फल भी होता है। नग्निभूति-दानादि क्रिया के कर्ता को चाहे धर्म रूप अदृष्ट फल मिले, क्योंकि वह ऐसे फल की कामना करता है; किन्तु जो कृषि आदि क्रियाएँ करते हैं वे तो दृष्ट फल की ही अभिलाषा रखते हैं। फिर उन्हें भी अदृष्ट फल कर्म की प्राप्ति क्यों हो? न चाहने पर भी प्रदृष्ट फल मिलता है भगवान --तुम्हारी यह शंका अनुचित है। कायण यह है कि कार्य का आधार उसकी सामग्री पर होता है / मनुष्य की इच्छा हो या न हो, किन्तु जिस कार्य की सामग्री होती है, वह कार्य अवश्य उत्पन्न होता है। बोने वाला किसान यदि अज्ञानवश भी गेहूँ के स्थान पर कोदरा बो दे और उसे हवा, पानी आदि अनुकूल सामग्री मिले तो कृषक की इच्छा-अनिच्छा की उपेक्षा कर कोदरा उत्पन्न हो ही जाएँगे / इसी प्रकार हिंसा आदि कार्य करने वाले मांसभक्षक चाहें या न चाहें, किन्तु अधर्म रूप अदृष्ट कर्म उत्पन्न होता ही है। दानादि क्रिया करने वाले विवेकशील पुरुष यद्यपि फल की इच्छा न करें, तथापि सामग्री होने पर उन्हें धर्म रूप फल मिलता ही है। [1620] ___ अतः यह बात मान लेनी चाहिए कि शुभ अथवा अशुभ सभी क्रियाओं का शुभ अथवा अशुभ अदृष्ट फल होता ही है / अन्यथा इस संसार में अनन्त संसारी ज.वों की सत्ता ही शक्य नहीं / कारण यह है कि अदृष्ट कर्म के अभाव में सभी पापी अनायास मुक्त हो जाएँगे; क्योंकि उनके इच्छित न होने के कारण मृत्यु के बाद संसार का कारण कर्म रहेगा ही नहीं। किन्तु जो लोग अदृष्ट शुभ कर्म के निमित्त दानादि क्रियाएँ करते होंगे, उनके लिए ही यह क्लेश-बहुल संसार रह जाएगा / यह बात इस तरह होगो-जिसने दानादि शुभ क्रिया अदृष्ट के निमित्त की होगी, उसे कर्म का बन्ध होगा, उसे भोगने के लिए वह नया जन्म धारण करेगा। वहाँ पुनः कर्म के विपाक का अनुभव करते हुए वह दानादि क्रिया करेगा और नए जन्म की सामग्री तैयार करेगा। इस तरह तुम्हारे मतानुसार ऐसे धार्मिक लोगों के लिए ही संसार होना चाहिए, अधार्मिकों के लिए मानो मोक्ष का निर्माण हुआ है / तुम्हारी मान्यता में ऐसी असंगति उपस्थित होती है। अग्निभूति-इसमें असंगति क्या है ? धार्मिक लोगों ने अदृष्ट के लिए प्रयत्न किया, अतः उन्हें वह प्राप्त हुआ और उनके संसार में वृद्धि हुई। हिंसाधि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org