SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 15 M Gी m जीव अनेक हैं जीव सर्व-व्यापी नहीं वेद वाक्यों का संगतार्थ जीव नित्यानित्य है विज्ञान भत-धर्म नहीं वेद-पद का क्या अर्थ है ? वस्तु की सर्वमयता mr or m २. द्वितीय गणधर अग्निभूति---कर्म के अस्तित्व की चर्चा २६-४८ कर्म के विषय में संशय २९-३० कर्म विचित्र है कर्म-की सिद्धि ३०.४८ कार्मण देह स्थूल शरीर से भिन्न है ३६ मूर्त कर्म का अमूर्त प्रात्मा से सम्बन्ध ३६ कर्म साधक अनुमान धर्म व अधर्म कर्म ही हैं. ४० सुख-दुःखमात्र दृष्ट कारणधीन नहीं ३१ मूर्त कर्म का अमूर्त प्रात्मा पर कर्म-साधक अन्य अनुमान प्रभाव है ४१ कार्मण शरीर की सिद्धि संसारी प्रात्मा मर्त भी है चेतन की क्रिया सफल होने के कारण जीव-कर्म का अनादि सम्बन्ध ___ कर्म की सिद्धि ३२ वेद-वाक्यों की संगति क्रियः का फल अदृष्ट है ३४ ईश्वरादि कारण नहीं न चाहने पर भी अदृष्ट फल मिलता है ३५ स्वभाववाद का निराकरण अदृष्ट होने पर भी कर्म मूर्त है ३६ वेद-वाक्य का सम्बन्ध कर्म परिणामी है ४१ ३. तृतीय गणधर वायुभूति-जीव-शरीर-चर्चा ४६-६६ जीब व शरीर एक ही है, यह संशय ४-६५० अतीन्द्रिय वस्तु की सिद्धि में प्रमाण ५५ संशय का निराकरण ५०-६६ भूत-भिन्न प्रात्मा का साधक अनुमान ५५ जो प्रत्येक में नहीं होता वह समुदायों जीव क्षणिक नहीं विज्ञान भी सर्वथा क्षणिक नहीं __में नहीं होता ५१ ज्ञान के प्रकार प्रत्येक भूत में चैतन्य नहीं ५१ विद्यमान होने पर अनुपलब्धि के भूत-भिन्न प्रात्मा का साधक अनुमान ५३ कारण ६३ इन्द्रियाँ आत्मा नहीं ५३ अात्मा का अभाव क्यों नहीं ? इन्द्रियाँ ग्राहक नहीं वेद से समर्थन ४. चतुर्थ गणधर व्यक्त ..शून्यवाद-निरास ६७-६३ भूतों की सत्ता के विषय में संदेह ६७-७३ सर्व शून्यता का समर्थन पदार्थ मायिक हैं उत्पत्ति घटित नहीं होती समस्त व्यवहार सापेक्ष अदृश्य होने के कारण शून्यता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001850
Book TitleGandharwad
Original Sutra AuthorJinbhadragani Kshamashraman
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Canon
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy