________________
तत्त्वानुशासन
म
.
माया बीज ह्रीं को ध्यान विधि माया बीज ह्रीं अक्षर को स्फुरायमान होता हुआ, अत्यन्त उज्ज्वल प्रभामण्डल के मध्य प्राप्त हुआ, कभी पूर्वोक्त मुखस्थ कमल में संचरता हुआ तथा कभी-कभी उसकी कणिका के ऊपरी तिष्ठता हुआ, तथा कभीकभी उसकी कर्णिका के ऊपरि तिष्ठता हुआ, तथा कभी-कभी कमल के आठों दलों पर फिरता हुआ तथा कभी-कभी क्षणभर में आकाश में चलता हुआ, मन के अज्ञान अन्धकार को दूर करता हुआ, अमृतमयी जल से चूता हुआ तथा तालुआ के छिद्र से गमन करता हुआ तथा भोहों की लताओं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org