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________________ नरकबिलोंकी शीतोष्णताका वर्णन कौन कौन जीव किसकिस नरक में उत्पन्न होते हैं इसका कथन क्षीरोदकवर - समुद्रजल शर्करामिश्रितदूध के समान है घृतोदकवर - समुद्रजल घृतस्वाद युक्त है अवशिष्ट समुद्रोंका जल मधु और इक्षुरसके समान है इन द्वीप समुद्रोंपर व्यन्तरोंके १५२ किस नरक से निकलकर जीव कौनसी अवस्थाको प्राप्त करता ? नरकों में नारकियोंको प्राप्त होनेवाले दुःखों का वर्णन सप्तम परिच्छेद ( तिर्यङ महालोकका वर्णन ) द्वीपसमुद्रों का वर्णन कालोदादिक तीन समुद्र जलस्वाद युक्त हैं वारुणीवर - समुद्र जलका मदिरास्वाद के समान है निवास हैं लवणोद, कालोद और स्वयंभूरमण समुद्र में ही मत्स्यादिक हैं जम्बूद्वीप क्षेत्र, पर्वत और हृदों का वर्णन विजयार्ध पर्वत तथा उसके दोनो श्रेणियों का वर्णन भरत क्षेत्रका संक्षेपसे वर्णन Jain Education International पृष्ठसंख्या १५१ १५१ - १५२ १५३ १५५-१८५ १५५-१५६ १५६ १५६ १५७ १५७ १५७ १५७ १५७ (५) १५७ - १५९ १५९-१६० १६० हिमवान्, महाहिमवान्, निषध १६०-१६३ पर्वतों का तथा उनके ऊपर पद्मादि सरोवर और हैमवत, हरिवर्षका वर्णन मेरुपर्वत, विदेहक्षेत्र, उसके देश, वक्षारपर्वत, विभङ्गानदियां आदिकों का वर्णन मेरुके उत्तर दिशाके क्षेत्रादिकों का संक्षिप्त कथन धातकीखंडका संक्षेपसे कथन पुष्करद्वीपका संक्षेपसे कथन मनुष्यक्षेत्र कहांतक है ? स्वयंभूमरणद्वीपके आधे भाग में नागेन्द्र पर्वत वलयाकार है मानुषोत्तर पर्वत के आगे असंख्यात द्वीपसमुद्रोंमें व्यन्तर और तिर्यंच रहते हैं आर्योंके भेदप्रभेदोंका कथन कर्मभूमिज, म्लेंच्छभूमिज और अन्तरद्वीपज म्लेच्छों का वर्णन कर्मभूमिका स्वरूप पृष्ठसंख्या अवसर्पिणी उत्सर्पिणीके भेदोंका वर्णन तिर्यंच, मनुष्य, मत्स्य, सर्प तथा पक्षियोंके आयुका वर्णन मत्स्योंकी शरीरावगाहना पृथ्वी जलादिके आकार वनस्पति, त्रस तथा नारकियोंके आकार १६३-१६९ For Private & Personal Use Only १६९-१७० १७० - १७१ १७१ १७१ १७१ १७७-१७८ १७९ मनुष्यका उत्कृष्ट तथा जघन्य आयु १८० पत्योपमके भेदों का वर्णन १७२ १७२-१७७ १८० - १८१ १८१ - १८२ १८२-१८३ १८३ १८३ १८३ मिथ्यादृष्टि मरकर कहां उत्पन्न होते हैं? १८४ निर्ग्रन्थमुनि और श्रावक कहां उत्पन्न होते हैं १८४ - १८५ www.jainelibrary.org
SR No.001846
Book TitleSiddhantasarasangrah
Original Sutra AuthorNarendrasen Maharaj
AuthorJindas Parshwanath Phadkule
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1972
Total Pages324
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size23 MB
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