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१. ४.४१ ] हिन्दी अनुवाद
४१ घत्ता--वह कलमलाता, मुड़ता और हाथ मलता। धवलसेठ कामसे ग्रस्त हो उठा। दूसरेकी स्त्रीमें आसक्त और कामदेवसे मदोन्मत्त वह नरकगतिको नहीं जानता था ॥३८॥
यह देखकर मन्त्री समझ गया। उसने सेठके शरीरकी कुचेष्टा जान ली। उसने पूछा कि तुम बेहोशकी भाँति क्यों हो? क्या तुम्हारे पेटमें शूल है ? या सिरमें दर्द है, या सन्निपात हो गया है, या कोई तुम्हें जन्तर-मन्तर कर गया है ? सेठ कहता है-"मैं तुम्हें सहारा देनेके लिए कहता हूँ कि ना तो मुझे सिरमें पीड़ा है, मैं न ही व्याधिसे पीड़ित हूँ।" वह हीन कहता है-"मेरा मन आसक्त है । वह रत्नमंजूषाके रूपसे सन्तप्त है।" तब मन्त्रियोंने कहा कि तुम अनुचित काम मत करो। वह तुम्हारे पुत्रकी पत्नी है। कामान्ध व्यक्ति नरकसे नहीं डरता। कामान्ध व्यक्ति परलोक नहीं देखता।
पत्ता-कामीको लज्जा नहीं लगती, चाहे वह बहन हो चाहे भार्या । पापीको केवल अवसर नहीं मिलता। वह बहन-बेटीको नहीं देखता, पाप देखता है। जैसे वनका कुत्ता या गधा ॥३९||
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फिर वह कहता है कि हे कूट मन्त्री, तुम्हीं सहायक हो, तुम्हें मैं प्रसादमें एक लाख रुपया दूंगा । मैं तुम्हारे गुणोंको हृदयसे मानूँगा। यदि मैं इस स्त्रीका हृदयसे भोग कर सकूँ। तब उसने कहा कि तुम इस बातकी घोषणा करो कि जलमें मच्छ उछला है। उसे देखनेके लिए यह बाँसपर चढ़ेगा । तुम रस्सी काट देना जिससे यह जलमें गिर पड़े। तब उसने बहुत जोरसे कोलाहल किया। मरजियाने लहरोंके बीच कहा-"वणिग्वरो, बहुत बड़ा मच्छ उछला है। क्या असमयमें चोर आयेगा।" इसपर ऊँचा लम्बा बाँस खींचकर श्रीपाल देखनेके लिए उसपर निडर होकर चढ़ गया । कोलाहलके बीच रस्सी काट दी गयी और वह पानीमें डूबकर पातालमें चला गया। पैंतीस अक्षरके मन्त्रका स्मरण करते हुए अन्तमें वह 'जिन-जिन' कहता हुआ चला गया। जिस प्रकार शूर-वीर अपना हथियार नहीं भूलता उसी प्रकार श्रीपाल जलमें णमोकार मन्त्र
नहीं भूला।
घत्ता-इस मन्त्रसे ऋद्धि-सिद्धि, उत्तम मंगल, शुभ गुणकी शृंखला, सुत, मनरंजन कलत्र और घरमें सुसम्पदा होती है । गौतम गणधर कहते हैं कि यह मन्त्र कठोर रौरव नरकका दुःख नाश करनेवाला है ॥४०॥
४१ 'जिन'के नामसे मतवाला हाथी अपना दर्प छोड़ देता है। सिंह वशमें हो जाता है। सर्प नहीं काटता। 'जिन'के नामसे धक-धक करती हुई आगकी सैकड़ों ज्वालाएँ नहीं जला सकतीं। 'जिन' के नामसे समुद्र अपनी थाह बता देता है । जंगलमें हवा भी प्रचण्डतासे नहीं बहती। 'जिन' के नामसे सैकड़ों बेड़ियाँ टूट जाती हैं और आदमी एक क्षणमें मुक्त हो जाता है। 'जिन' के नामसे
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