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तृतीयावृत्ति का प्रकाशकीय निवेदन
स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा ग्रन्थ की जिज्ञासुओं में बहुत मांग है। आज से २३ वर्ष पूर्व श्री पाटनी दि. जैन ग्रन्थमाला, मारोठ से यह प्रथम प्रकाशित हुआ था । श्री नेमीचन्दजी पाटनी की अनुमति से ही इसकी द्वितीय आवृत्ति राष्ट्रीय स्तर पर मनाये जाने वाले २५०० वें वीर निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रकाशित हुई थी। प्रस्तुत ग्रन्थ की तृतीय आवृत्ति श्री दिगम्बर जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट सोनगढ़ को ओर से प्रकाशित हो रही है।
प्रथमावृत्ति की मूल सामग्री में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया गया है । मुद्रण में यथासम्भव पूर्ण सावधानी रखी गई है । शुद्ध मुद्रण के लिए मैं श्री नेमीचन्दजी बाकलोवाल, बाकलीवाल प्रिन्टर्स, मदनगंज-किशनगढ़ का विशेष आभारी हूं।
जे० लालचन्द जैन
इन्दौर (म० प्र०)
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