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________________ २१० कार्तिकेयानुप्रेक्षा गिरिकी गुफा, वृक्षके मूल तथा स्वयमेव गृहस्थोंके बनाये हुए उद्यान में वसतिकादि देवमन्दिर और श्मशानभूमि इत्यादि एकान्त स्थानों में ध्यानाध्ययन करते हैं क्योंकि शरीरसे तो निर्ममत्व हैं, विषयोंसे विरक्त हैं और अपने आत्मस्वरूपमें अनुरक्त हैं वे ही मुनि विविक्तशय्यासनतपसंयुक्त हैं। अब कायक्लेश तपको कहते हैंदुस्सहउवसग्गजई, आतावणसीयवायखिएणो वि । जो ण वि खेदं गच्छदि, कायकिलेसो तवो तस्स ॥४४८॥ अन्वयार्थ:-[ जो दुस्सहउवसग्गजई ] जो मुनि दुःसह उपसर्गको जीतने वाला है [ आतावणसीयवायखिण्णो वि ] आताप शीत वात पीड़ित होकर भी खेदको प्राप्त नहीं होता है [ खेदं वि ण गच्छदि ] चित्त में क्षोभ ( क्लेश ) भी नहीं करता है [ तस्स कायकिलेसो तवो ] उस मुनिके कायक्लेश नामक तप होता है । भावार्थः -महामुनि ग्रीष्मकालमें तो पर्वतके शिखर आदि पर जहाँ सूर्यकी किरणोंका अत्यन्त आताप होता है, नीचे भूमि शिलादिक तप्तायमान होती है वहाँ आतापनयोग धारण करते हैं । शीतकालमें नदी आदिके किनारे पर खुले मैदानोंमें जहाँ अत्यन्त शीत पड़ती है डाहेसे वृक्ष भी जल जाते हैं वहां खड़े रहते हैं और चातुर्मास में वर्षा बरसती है, प्रचण्ड पवन चलता है, दंशमशक काटते हैं ऐसे समयमें वृक्षके नीचे योग धारण करते हैं, अनेक विकट आसन करते हैं ऐसे अनेक कायक्लेशके कारण मिलाते हैं और साम्यभावसे चलायमान नहीं होते हैं क्योंकि अनेकप्रकारके उपसर्गके जीतनेवाले हैं इसलिये जिनके चित्तमें खेद उत्पन्न नहीं होता है, अपने स्वरूपके ध्यानमें लगे रहते हैं उनके कायक्लेश नामका तप होता है । जिनके काय तथा इन्द्रियोंमें ममत्व होता है उनके चित्तमें क्षोभ होता है। ये मुनि सबसे निस्पृह रहते हैं इनको किसका खेद हो ? ऐसे छह प्रकारके बाह्य तपका वर्णन किया । अब छहप्रकारके अन्तरंग तपका व्याख्यान करेंगे । पहिले प्रायश्चित्त नामक तपको कहते हैं दोसं ण करेदि सयं, अण्णं पि ण कारएदि जो तिविहं । कुव्वाणं पि ण इच्छदि, तस्स विसोही परा होदि ॥४४६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001842
Book TitleKartikeyanupreksha
Original Sutra AuthorKartikeya Swami
AuthorMahendrakumar Patni
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size16 MB
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