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२-३५
विषयानुक्रम
( सन्धि व कडवक क्रमसे ) सन्धि १-यशोधर-जन्म-विवाह-राज्याभिषेक
[१] कविका आत्म-निवेदन। [२] चतुर्विंशति स्तुति । [३] यौधेय देशका वर्णन । [४] राजपुर नगरका वर्णन । [५] राजा मारिदत्तका वर्णन । [६] कौलाचार्यका वर्णन । [७] भैरवानन्दका आदेश । [८] बलिदानका निश्चय । [९] देवीका वर्णन । [१०] बलिके निमित्त पशुओंका संग्रह । [११] बलिहेतु नर-मिथुनकी खोज । [१२] नन्दनवनका वर्णन। [१३] श्मशानका वर्णन । [१४] क्षुल्लक-युगलका वर्णन । [१५] क्षुल्लकोंका परस्पर धर्म-चिन्तन । [१६] देवीके मन्दिर में कोल धर्मानुयायियोंका स्वरूप । [१७] क्षुल्लकों द्वारा राजाका सम्बोधन तथा राजाका भाव-परिवर्तन । [१८] राजाकी कुमार-कुमारीका वृत्तान्त जाननेकी इच्छा [१९] कुमारका राजाको उत्तर । [२०] राजाको उपशम भावकी प्राप्ति । [२१] अवन्ति देशका वर्णन । [२२] उज्जयिनीका वर्णन । [२३] राजा जसबन्धुर तथा राजकुमार यशोघका वर्णन । [२४] यशोधरका कुमार-काल । [२५] यशोधरके विवाहका प्रस्ताव । [२६] विवाहकी तैयारी। [२७] विवाह-विधि । [२८] राजा
यशोधका वैराग्य । [२९] यशोधरका राज्याभिषेक । सन्धि २-यशोधर-चन्द्रमति-भवान्तर
३६-७३ [१] यशोधरकी शृंगार-लीला । [२] रात्रि-वर्णन । [३] यशोधरका अन्तःपुर प्रवेश । [४] अन्तःपुरकी आठ भूमियोंका वर्णन । [५] पत्नी-मिलन । [६] पत्नीका अभिसार । [७] रानी और कुबडेका वार्तालाप । [] रानीके दराचारसे यशोधरकी प्रतिक्रिया [९] नारी-चरित्रके संस्मरण-गोपवती और वीरवतीके दृष्टान्त । [१०] रक्ताका दृष्टान्त तथा यशोधरकी विचार-शृंखला। [११] मानव शरीर सम्बन्धी विचार। [१२] प्रभात होनेपर यशोधरके विचार । [१३] राजसभामें मातासे स्वप्नका बहाना कर यशोधरका राज्य-त्यागका विचार । [१४] यशोधरका मातासे विचार-विनिमय । [१५] यशोधर द्वारा हिंसाकी निन्दा और अहिंसा धर्मकी प्रशंसा। [१६] माताका हठ होनेपर भी यशोधरका अहिंसक भाव तथा हिंसकोंके नरकगमनका भय । [१७] नरकसे निकले जीवोंकी दुर्दशा । [१८] मिथ्याचरण और उसके दुष्परिणाम । [१९] यशोधरका साहस व माता द्वारा अन्य उपायका सुझाव । [२०] आटेका कुक्कुट और उसका बलिदान । [२१] देवीकी स्तुति, मेरा वैराग्य और रानीकी आशंका । [२२] रानीके द्वारा भोजका आमन्त्रण । [२३] भोजकी स्वीकृति और आयोजन । [२४] भोजनके पकवान और उनमें विष । [२५] मेरी मृत्युसे पत्रका शोक व मन्त्रियोंका सम्बोधन । [२६] श्मशान-यात्रा, परिजनोंकी शोकावस्था तथा राजा द्वारा दान करना। [२७] हिमालयके घोर वनमें यशोधरके जीवकी मयूर-योनिमें उत्पत्ति । [२८] माता सहित मेरा व्याध द्वारा ग्रहण । [२९] माताका किसी अन्यको समर्पण और मेरी सुरक्षा। [३०] मेरा यशोमति राजाको उपहार तथा मेरे पूर्वजन्मकी माता चन्द्रमतीके मरण का वृत्तान्त । [३१] चन्द्रमतीका जीव कूकर योनिमें पहुँचा । और वह कूकर भी राजा यशोमतिके प्रासादमें उपहार स्वरूप पहुँच गया। [३२] कुत्तेका शौनिकको समर्पण और मेरा राज-प्रासादमें क्रीडन । [३३] मयूरका रानी और उसके जार कुबड़ेपर आक्रमण । [३४] मयूरका मरण ।
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