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पावणिसुभणि उयरुपपणें कासवगोत्तिं जिणपयभक्ति
वयसंजुत्ति
वियलिय किं
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पहसियतुंडिं रंजियबहसह जो आयण्णइ लिहइ लिहावइ
जो मणि भावइ विहुणियचणरय जणवयणीर सि कर्णदायरि पडियकवालइ
बहुरंकालइ परागारं सहल महु उवयारिङ गुणभत्तिल्ल उ
होउ चिराउ तप
इि विलसर गोमणि
घुम्मदलु संति त्रियंभ
जसहरचरिउ
३१
धमुच्छा
सुनंदउपय जय जय जिणवर
विलु सुकेवलु
महु उप्पज्जउ
मुद्धाबंभणिसालवण |
केसव पुत्ति । धम्मासत्ति ।
उत्तमसत्तिं ।
अहम
कणा खंडि |
कय जसहरकह ।
चंगड मण्णइ |
पढ पढ । वइ । सो रु पावइ ।
सासयसंपय ।
दुरियमलीमसि | दुस्सहदुहरि |
रकंकालइ |
अइदुक्कालइ | सरसाहारिं ।
वरतंबोलिं ।
णि पेरिउ ।
गच्च कामिणि ।
पसरउ मंगलु | दुक्खु णिसुंभउ | सरण |
जय परमप्पय ।
जय भयमयहर ।
णाणु समुज्जलु । एत्तिउ दिज्जउ । अ कव्वु करंतिं । जं हीणाहि उ काई भि साहिउ | घत्ता-तं मायै महासइ देवि सर्रो सइ हियसयेलसंदेह दुह । महु खम भडारी तिहुवणसारी पुप्फयंत जिणत्रयण रुई ||३१|| इय जसहर महाराय चरिए महामहल गण्ण करणाहरणे महाकइपुष्फयंतविरइए महाकन्वे चंडमारिदेवयमारिदत्तरायधम्मलाहो णाम चउत्थी संधी परिच्छेओ समत्तो ॥ ४ ॥
ण्णु महल्लउ | बरिसउ पाउसु |
धणकणदाइणि ।
[ ४. ३१. १
३१. १. ST पविमलु केवलु णाणु सुणिम्मलु । २. ST ण मुणंति । ३ AT माइ । ४. T सरस्सइ । ५. AP सयलसंदोह । ६. S T कह । ७. S जसवइकल्लाणमित्त मारियत्तअभयम इस ग्गगमणो णाम ।
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