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जसहरचरिउ
[ ४. १३. १५
घत्ता
- हड्डावलिविहियउ चम्मि पिहियउ पूयगंधभीसावणओ । माणुस कलेवरु चंडालहु घरु जिह तिह णिरु चिलिसाबणओ ||१३||
इयत्ता विरंगु मणि वसइ कामु मज्जायमुक्कु दप्पुभडु माणु अतुट्ठि लोहु
परवचणयरु मायाकसाउ कुलबललच्छी मयफुट्टणेत्त ण णिबद्ध सलज्जभाउ
दुवई - वोक्करत्तपित्तमत्थितावलि सुक्कसंग मं ॥ 'रईणीर खीर संमद्दसमुब्भवकद्दमोवमं ||१|| कामि दुर्द्दति अंतरंगु । कोहुवि परबंधहणणदुक्कु । महरा इव मोहणसी मोहु । सोउ वि कहाहारवणिणाउ । वि पेक्खइ विणु मज्जेण मत्तु । हु विणत्थपत्थरणिहाउ । तहइ मग्गइ पाणिउ अपेउ । छुह पइसारइ चंडालगेहु | जीहा व समीहs मिट्ठ भक्खु ! फाविणो करइ तति । म पुणु वणमक्कडु जेम चवलु । हिंसाकम्मो उवगरणु पाणि । कइ करइ कइत्तणु रायमुलु । सुहत्तणु जाणह दुरियरासि । पुणु हिंडइ पियविरहिं सुसिउ || वुत्तु करालो डिउ कालहो मरणव्वसणसमूससिउ ||१४||
दाइ सहियहेउ डिहिवि लेइ णीसेसु देहु रमणीरूवेसु रमंति चक्खु घाणु वि सुगंधहो जाइ झत्ति हु धाव गेहो कण्णजुयलु अणुदिणु मुद्दिपइसइ अलियवाणि जुलुवि पाव पहाणुकूलु पंडित कुतक्कपलावभासि
घत्ता - अण्णाणु सिसुत्तणु णवजोव्वणु
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मिच्छत्तकसाया संजमेण सम्मत्तिं जीवदयागमेण किज्जइ संवरु मुणिपुंगवे हिं जिर पुणु बारह तिवेण अइखमवण अइदूस हेण अइसच्चरण सुसउच्च एण संभवइ धम्मु बंभव्वएण मग्गज्जइ हयजर मरणवाहि माहि हुँ मुणिदिक्ख ताम
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दुवई – कंचुइ कामभोय मणिभूसणणिवसण मंयविहूइया || रोय कयं भिच्च मउलियमुह मुच्छा मरण दूइया ॥ १ ॥
आसवइ कम्मु करणुब्भवेण । इंदियर इस गविणिग्गमेण । दढवयभावणविरइयसमेहिँ । जाएं णिव्वेएं णवणवेण । अइमद्दवेण अइअज्जवेण । परिचत्तपरिग्गहसं गेहेण । अज्जेव्व भावें भव्वएण । जिणगुणसंपत्ति समाहि वोहि । अंगाइँ समत्थइँ होंति जाम ।
१४. १. A विरइय । २. A वंचण । ३. ST जड णिद्द । ४. A यत्ति । १५. १. A मइ । २. ST संचरण । ३. ST लइ ।
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