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दुवईई-ताम मए सवचितणयस्स णयस्स तणु व्व छड्डियं । दिण्णं जेसहरस्स मणिभवणघणं कुललच्छि मंडियं ॥१॥ समहरि णं परलोकुहिणि हउँ एह अवर महु लहुयवहिणि । विणि वितं चिय उवत्रणु गयाइँ णवियाइँ साहुणाहहो पयाइँ । संसारमहाभरभग्गएहिँ दोहिं म गुरुचरणालग्गएहिं । भासि मुणि दिक्ख हूँ करि पसाउ ता भणइ भडारउ वीयराउ । तुम्हइँ बालइँ अइपत्तलाइँ अज्ज वि कुवलयदलकोमलाइँ | तवचरणकरणपरिणइ दुसज्झ पुत्तय डिंभहँ उ होइ गिज्झ । होएप्पिणु उत्तमसावयाइँ गुरुसेव सिक्ख सुयपयाइँ । परसमयारूढस दत्तणाइँ लोइयवेइयमूढत्तणाइँ | मा कहिं म कुलिंगचरित्तु थुणह । रक्खह सुविसुद्ध अंतरंगु । पहभट्ठ वि पुणु जिणमग्गि ठवह । मा fies सम्माट्ठिदोसु । वच्छल्लु सुविज्जावच्चु विणउ । इयरहो पुणु सहसा खयहु जाइ ।
संक कख विदिगिंछ हणह मा कुह दिहीहरु दर्पसंगु सासह पावण करिवि णवह आउंचह उट्ठि हरिसु रोसु चउभेयहु संघहो करहु पणउ सुविसुद्ध दंसणु एम होइ
घत्ता - परणयविद्धंसणु सम्मदंसणु पहिलारउ थिरु मणि धरह || पुणु बज्झतरु भवसयमलहरु पच्छइँ दुद्धरु तउ धरह ||८||
मा जंप का विकण्णसूलु सामाइड पालह जीवमित्ति सिद्ध साहुहुँ दविहत्ति सच्चित्तु म धंसह आउ वाउ वजह णिसिभोयणु जइ विभि दिदु धरह विसुद्ध बंभचेरु अम्भसह पयत्ति संगैचाउ fories मुवि भिक्खाइँ अडह मावि गणिउ
जसहरचरिउ
दुवई - सेणि विणु णिवेण सुरहुभियधयवडपंडुरोइणं ॥ विणु सहसणेण किं कीरइ तवचरणं पि दारुणं ||१||
काहिँ जाण रुद्दट्टु मुविणु दुरियठाणु
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[ ४. ८. १
उ धरह अहिंसा सच्चमूलु । गुरुदेवभत्ति उज्झायभत्ति । पोस समेरभत्तो णिवित्ति । हि जणु व अवरु त्रि हरियकाउ | मा जोयह थी पुरिव सुइहु | औरंभु यह कयलोवेरु । मिच्छह अणु मणु मण्णेवि पाउ । एयारहमइ गुणठाणि चडह । पहरणधारणु वि रउद्द् भणिउ । उप्पण्णउ इट्ठविओयणेण । णिचं चिय झायह धम्मझाणु ।
८. १. AP जसहणस्स । २. उवसमसुहरिणि । ३. ST उववणु पुणु गयाई । ४. S अइबालई पत्तलाई । ५. S सुयवयाई । ६. ST तप्पसंगु । ७. AT सुवेयावच्चु । ८. ST नियमणि । ९. भवकलिमल | ९. १. S उज्झायवत्ति । २. S सारंभु । ३. AT अंगचाउ ।
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