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जसहरचरिउ
[४. २. ८क वि भणइ हुवउ पियतिलयछेउ हो हो कि किजइ पत्तछेउ । वहु का वि भणइ किं लिहहि चित्तु पहु वट्टइ कामविरत्तचित्तु । क वि पभणइ किं मुहमंडणेण राणउ रंजिउ तवमंडणेण । वहु का वि पमेल्लइ पडहु पवरु विहि वार्यई लग्गउ किं पि अवरु । क वि कुरुल करंति करंति थक्क लइ केसुप्पाडणविहि पढुक्क । पिय का वि लिहंति कवोलवत्तु हो दइव काइँ विवरीउ पत्तु । उट्ठिय क वि मुत्तिय गुणि ण दिति मुणिगुणि णिञ्चलु णियमणु ठवंति । कवि पभणइ म करहि तिक्ख णक्ख वरइत्तु लएसइ परमदिक्ख । कवि णिसुणिवि पियवत्ताई खीण देहइ कंचुलिय ण थाइ लीण। इय णाणाविह जंपतियाउ पियविरहभएं कंपतियाउ । पासेयबिंदुथिप्पंतियाउ
कंचीकलाव गुप्पंतियाउ। गयणंजणंसुमलमइलियाउ मणिरसणाकिकिणिमुह लियाउ । णेउरझंकारमणोहराउ
उण्णयघणपीणपयोहराउ। संयल वि अंतेउरराणियाउ जहिं राउ तहिं जि संपत्तियाउ । घत्ता-णहपहजियसुमणिहिँ चलहारमणिहिँ पत्थिउ रमणिहिँ पत्थियउ ।
बिणडिउ तवचरणिं सिरिसुहहरणिं तुहुँ दइवेण गलत्थियउ ॥२॥
दुवई-अम्हइँ अच्छराउ तुहुँ सुरवइ संउहयलं विमाणयं ।
पियसंजोग्गुःसग्गु किं सग्गसिरे कुडिलं विसाणयं ॥६॥ रइकरणालिंगणधुत्तियाउ पणेयंगणाउ कुलउत्तियाउ । इय पलवंतियउ ण इच्छियाउ सयलउ रपएं णिब्भच्छियाउ । ढक्कारवचल्लियगयवारेहिँ
हि लिहि लिसरेहिं सिययवरेहिँ । णग्गुग्गखग्गकरकिंकरेहि
मणचडुलतुरयणियरहवरेहिं । परिवाइयाई सहयरणरेहि विजिजंतई चलचामरेहि । सिग्गिरिणंदणवणसदलाई छत्तावलिछाइयणहयलाई। मरुंचलियघुलियणाणाधयाइँ सिवियाजाणिं बिण्णि वि गया। घत्ता-परिसेसियपरियरु अधेउ अचामरु चरियरयणउडिढयसयरु ।।
खोणियलि णिविट्ठउ दोहिँ मि दिहउ परवइ णं सामण्णु णरु ॥३॥
दुवई-ता मुणिवयणकमलणिग्गंतझुणीकहियं कहतरं ।।
अम्हइँ तंमि बिहिँ मि तं चिय पुणु संभरियं भवंतरं ॥१॥ भउ सुमरिवि बिणि वि मुच्छियाइँ लंजियहिं करेण पडिच्छियाइँ । २. ST पभणइ हुउ । ३. ST महं मंडणेण । ४. A विहिवायणलग्गउ । ५. ST हा दइयउ किं पि विवरीउ पत्तु। ६, ST झीण। ७. ST णयणंजण मुहुँ मइलितियाउ। ८. S and T omit
this line and A and P give it in second hand I ३. १. T सउहलयं । २. T पणियंगणाउ । ३. ST चलियसुगयवरेहिं । ४. ST अम्हइं विलुलियणा
णाधयाइं। ५. ST अणउधअचामरु ; A सधउ सचामरु । ४. १. ST पुणो भरियं ।
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