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जसहरचरिउ
[३. ३२. ५एउ णियच्छहि अच्छइ णियडउजिह भवि भमियउ कुक्कुडजुयलउ । तिह भमिहीसि तुहुँ मि संसारइ लग्गउ कउलधम्मवित्थारइ। भासइ णरवरु कहहि चिराणउ तंबचूलजुयलस्स कहाणउ । कहइ मुणीसरु मायापुत्तई। इह होताइँ लच्छिसंजुत्तई। घत्ता--अच्चंतकुसंगिं जायण जायउ भाउ सकक्खडउ ।
मारिवि कुलदेविहि दिण्ण बलि एयहिं कित्तिमु कुक्कुडउ ॥३२॥
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दुवई-णियतणु धणु विणासि भयतुंगई मरिवि छुहावसंगई।
संजायाइँ बे वि सिहिसाणई पुणु पसवइ-भुयंगई॥१॥ पुणु झससुसुमारभवयत्तणु पुणु अय आयय अयमहिसत्तणु । संपइ जायउ पुणु वि णवल्ल उ पेच्छसि रत्तसिहरमिहुणल्लउ । ता णरेण कुलधम्मु मुएप्पिणु लइयउ सावयवउ पणवेप्पिणु । अम्हइँ बिणि वि णिसुणियजम्म। मणि संगहियजीवदयधम्मइँ। अइअउठवलाहिं संतुट्ठइँ। लवियइँ सुमहुरु कर्यउक्कंठई। णवरम्हारउ सदु सुणंति
धणुगुणमग्गणि झत्ति कुणंति । भणिय देवि जसवइणरणाहिं मेहुणसण्णारुहणुच्छाहिं । पेच्छि देवि धणुवेउ अभग्गउ सद्दवेहु दक्खालमि लग्गउ । घत्ता-इय भासिवि राएं मुक्कु सरु वम्मई तेण विलुक्कई ।
अम्ह इँ बिग्णि वि पंजरि ठियइँ दह विहपाणिं मुक्कई ॥३३॥
३४ दुवई-वे वि मुयाइँ कंडणिभिण्णइँ सोणिय किमिणिहेलगे।
सुयपणइणिहि गभि संकमियइँ कुसुमावलिहिँ तक्खणे ॥१॥ पावपरंपराइ णि वणियउ। हउँ सुण्हहे णियपुत्तिं जणियउ। जा चिरु होती माय महारी परमेसरि चंदमइ भडारी। सा णियकम्मि भवबलि दिण्णी णत्तिहे णत्तिएग उप्पण्णी । गभट्ठिउ जुयलुल्ल उ जइयहु मासाहारु ण रुच्चइ तइयहु । णवमास हि सुव कुमरहँ जुवलउ संजणियउ सुहजोई विमलउ । जणणि हउँ जणणेण वियक्किउ । अभयरुइ त्ति कुमारु पकोक्किउ । अभयमइ त्ति सत्ति णं कामहो। सस परिवडूढइ कति व सोमहो। बिणि वि सयलकलाणिउणयर, जायई णययाणंदियपियर।। महु जुयरायपट्ट वज्झेसइ लोउ सभोउ भवणि भुंजेसइ। कज्जइँ तेण मयामिससिद्धिहिं जसवइपहु पत्थिउ पारद्धिहिं । अग्गइ काहलसदहो मिलियइँ पंचसयइँ सोणइयहुँ चलियई।
३. T तुहं जि। ३३. १. T कयउक्किट्टहि । ३४. १. ST अइ। २. ST ornit this line; AP add this in second hand | ३. ST धम्महो;
A वम्महो।
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