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जसहरचरिउ
३. २८.८वासिं भारहु सयलु वि दिवउ अणहोंतु जिकिह लोयहँ सिट्ठउ । ठविय केम महि संख पयासइ परमाणुअउ गणिउ परिहासइ । गहगहणुल्ल उ केम पमाणिउ गहणु केम गयणंगणि जाणिउ । घत्ता-सव्वण्हु अणिंदियणाणमउ जो मयमूढुण पत्तियइ ॥
सो णिदिउ पंचिंदियणिरउ वइतरणिहि पाणिउ पियइ ॥२८॥
२९
दुवई-किं केण वि जयम्मि ण कयाउ रिया उ भणति णिहया ।।
___ण हि सयमेव थंति पंतीए णहे मिलिऊण सद्दया ॥१॥ अणुसंघट्टणि सर्दु विहावइ उठ्ठिउ खणि णहयलि परिधावइ । पसुहँ वि णिज्जीवहँ वि अणक्खरु सो संभवइ महुरु अवरु वि खरु । णरमुहवण्णठाणसंकेयहो
बुद्धिश णिज्जइ भासाभेयहो। वेउ सयंभु भणंतु ण लज्जा दियवरवरकइकित्तेणि पुज्जइ । विग्गवंतु देउ णउ अक्खइ पंडव सुरसुअ मुहियइँ झंखइ। अंसु ण लब्भइ णिञ्चणिरंसहो वासुएउ किह किउ रिउ कंसहो। हिंसई सग्गु मोक्खु सुयसंगमु अण्णु पुराणु अण्णु वेयागमु । अण्णु देउ अण्णु जि पुजिज्जइ किं बोलिज्जइ हो हो पुज्जइ । क्यणु कुमारिलभट्टहो केरउ अइअसुद्ध धम्महो विवरेरउ । घत्ता-गेयई वेयई मई जाणियई हरिणहो मरणु पयासियउ ।।
एकिं णिरु णिक्किउ समरउलु अवरें दिर्य उलु पोसियउ ॥२९॥
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दुवई-मीण गिलंतु ण्हंतु जइ सुज्झइ ता कंको महामुणी ॥
वंदिजइ चरंतु णइतीरिं किं किजइ परो मुणी ॥१॥ मिंढी हरिणि वि गाइ वि तणयरि पाव हूई सूअरि वणयरि । जिणवरदिहिहिं सव्व समाणी देवि भणिवि सुरवसहिसमाणी । वंदेइ गाइ पुणु वि जो मारइ अप्पउ भवसंसारहो तारइ। गोसुअजणि धम्मि रइ माणइ सोयामणिहिँ मज्जु वक्खाणइ । हो तहो विप्पहो तत्ति ण किजइ रिसहिं दिट्ठउ धम्मु लइज्जइ ।
२. A वि । ३. S T मइमूढु । २९. १. A S T कियाउ । २. ST कित्तिण; A कित्तणु । ३. ST गेएं वेएं। ४. A दियबलु । ३०.१, ST वंदइ पुणु वि गाय जो मारइ। २. AST गोसव ।
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