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________________ {० १५ १० १५ १०० णिच्चु भगत ण मरइ ण हवाइ णिच्च भणतहँ गयणसमाणउ गाणाभेय जीव जिणु भासइ एक्कु हसइ अक्कु वि रोअइ एक्कु जाइ अक्कु वि थक्क एक् सी अक्कु वि गुरुणरु मणि जासवण किं दिजइ असिवरेण गयणयलु ण छिज्जइ णिम्मलु किं रैम्मइ परराएं जसहर चरिउ ससहरवयणउ कुवलयणयणउ सुहमुहपवण भूसियभवणउ मम्मणभणियउ कोडावजियउ ध में महिलउ होंति घरत्यहँ २६ दुबई - जइ तिल्लोक्कखंधु विष्णाणु विता सुगयंतरंगर || भंतिभंति के जाणिज्जइ साहिज्जइ जणग्गए ॥१॥ खणि खणि अण्ण होइ जइ चेयण वासणाइँ जइ णाणु पयासइ किं सा पंचहँ संधीँ भिण्णी तो सिरसिहरि चडावियहत्थे सिरिस कुसुमबाणविशिवारा भइ भडार धम्मु लईज्जइ ध होंति मणुहरि हलहर पायेपोमपरिघुलिय पुरंदर धमि होंति जिणिंद रिंद वि Jain Education International णिच्च भत ह ण रमइ ण चवइ । ठाइ जीउ गय किरियाठाणउ । एक्कु जि जीउ भट्टु किं विरसइ । एक्कु चेइ अक्कु वि सोअइ । मिडर एक्कु अक्कु वि संकइ । एक्कु राउ अणेक्कु जि किंकरु । रूविं किं अरूवि परु भिर्जइ । ण णाइँ म हासउ दिज्जइ । भयवं भयव हो होउ विवाएं । घत्ता - जगि णत्थि अणुइँ तवचरणु पत्तवडियपलरसरसिउ ॥ वाणखंधु पुरिवि भणइ बुद्ध भडारउ साहसिउ ||२५|| ता को मुई छमासीवेयण । तो वासण खणि किं णउ णासइ । जीवसिद्धि पडिवण्णी । मुणि वंदिउ भडेण परमत्थें । भकिं पेस करम भडारा । धम्म सग्गु मोक्खु पाविज्जइ । चारण चक्कवट्टि विज्जाहर | हाणसलिलपक्खालियमंदर । धम्में होंति सुरिंद फैलिंद वि । मणियमयणउ उज्जलरयणउ । लीलागमणउ मुणिमणदमणउ । घणघणथणियउ णं सुरगणियउ । परिहियविविहविहूसणवत्थ हूँ । धत्ता - धम्मि रयणं सुजालघरहूँ जालगवक्खमणोहर हूँ || सुविचित्तचित्तभाभासुरइँ सँत्तपंचभोमइँ घरहूँ ||२६|| २. S T ण धरइ ण करइ; A णरवइ ण चवइ । ३. A णाणाजीवभेय । ४. ५. ST रपइ | २६. १. S तयलोक्कु भंतु; T तेल्लोक्कभंति 1 २. T मुयइ । ५. T पायपोम्म । ६. ST पडिद । ७ ST सत्तपंचभउमई । [ ३.२५.७ For Private & Personal Use Only ३. ST लइ मई । A हिज्जइ । ४. A रइज्जइ । www.jainelibrary.org
SR No.001841
Book TitleJasahar Chariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorParshuram Lakshman Vaidya, Hiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages320
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size22 MB
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