SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८८ जसहरचरिउ [३. १३.६भत्तेण पुत्तेण सिहिणो विसण्णो मि भो मज्झ णामेण हं चेव दिण्णो मि । अम्हे हया पीणिया बंभणा जाम धुत्तेहि लोएहि जड वंचिया ताम । अण्णम्मि जिमियम्मि अण्णो कहं घाइ अण्णस्स णामेण विप्पो पलं खाइ । अण्णम्मि खलियम्मि अण्णस्स णक्खाई भज्जति किं भद्द दिण्णंगेदुक्खाई। माहिंदतिरियस्य मझं मि अइयस्स लग्गग्गिजालाकलावेण लइयस्स । दोण्हं पि सह चेव जीवो गओ ताम उज्जेणिमायंगणरवाडओ जाम ।। गोमुंडवहुहड्डुविच्छडुवंतम्मि पसुपेयपरियलियकिमिसिमिसिमंतम्मि । सिप्पंतपवहंतलोहियरसिल्लम्मि विच्छिण्णघणचम्मछाइयकुडिल्लम्मि । मयमहिससिंगावलीसंकडिल्लम्मि फरसुद्धकेसम्मि धूसर कडिल्लम्मि । कियवाउपयपहयधूलीरयालम्मि विक्खित्तकंकालमालाकवालम्मि । सिहिसिण्हमंडलरसासायकायम्मि आमिसवसामीसउटुंतधूमम्मि । घत्ता-कुक्कुडियहि जायइँ गब्भि तहिं अम्हई विण्णि वि पिल्लई ।। छुडु छुडु तत्तियहि विणिग्गयई उक्कुरडम्मि णवल्लई ॥१३॥ १५ १४ दुवई-ता गहिया गलम्मि मज्जारिं जणणी कंपमाणिया । __ खद्धा कसमसत्ति मुडियट्ठिरवेण जमाणणं णिया ॥१॥ ता चंडालिई रइयउ भल्ल उ पित्तउ घरकयारपिडउल्लउ । णाणाहड्डखडंतत्तडियउ णं दुकिउ अम्हहँ सिरि पडियेउ । दोहिं मि कुक्कत्ति आरडियउ ताहे मि तहिँ हियउल्लउ घुलियउ । मं छुडु अट्ठिएहिं संवलियउ तंबचूलसिसुजुयलउ घल्लिउ । णं णियसत्तिसमूहिं पेल्लिउ समउ कयार इह मई घल्लिउ । अम्हहँ सद्दु ताई अवहारिउ पुणु कयारु चरणिं ओसारिउ । लग्गई पायग्गईं महु अंगई हत्थे लेवि णियाई विहंगई। कुहियकलेवरि ठवियई णियघरि विलसियकम्मविवायसुदुद्धरि । हउँ जो णिवे णिववंदिउ होतउ सो चंडालिई पायई छित्तउ । घत्ता-सीउण्हें वाएं पीडियई छुहतण्हासंतत्तई॥ चंडालणिलइ णिवसंत. दुक्खपरंपर पत्तई ।।१४।। दुवई-दूसह विहुरवडणसुढियंगई धरणियले पलोट्टई ॥ ___तहिं पाणहरि खद्धपरपाणई पाणिवहे पयट्टइं ॥१॥ चित्तपिच्छचित्तलाई चंचुचारुचंचलाई। भूरिपावभारयाई उक्खयावणीरयाई। २. ST दिण्णुग्गदुक्खाई। ३. S परिगलिय; T परिघलिय । ४. T कुडिलम्मि । ५. AT कुक्कुडि यहि । ६. AP उक्कुरुडम्मि । १४. १. 5 घल्लिउ । २. S adds after this : पुव्वजम्मि ( T जम्म) किउं णावइ घडियउं । ३. s omits णं णियसत्तिसमूहि पेल्लिउ ।.४. S मउयंगई. ५. Sणिउ णिववंदिउ; T जो णिवपइदिउ । ६. P. छुहतहासिहि संतत्ताई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001841
Book TitleJasahar Chariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorParshuram Lakshman Vaidya, Hiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages320
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy