________________
जसहरचरिउ
[३. ९. १२अज्जु जि मारियमहिसयजंगलु बाइ दुगंधउ सुट ठु अमंगलु । भणइ अवर झसभोजि प उ अंगु वाइ देविहि णिक्किट्ठउ । अण्णेक्क जि भासइ णउ एहउ हउँ आहासमि दिउ जेहउ । मायइ सहुँ गरलुल्ल उ चारिउ खुज्जयकारणि णियपइ मारिउ । पावें तेण संडियणासोट्टई पूइ वाइ राणी हय कुई। घत्ता-हउँ जाणमि आमिसु पुंजिय उ भोयणवेल. ढोइयउ ।।
आयण्णिवि कामिणिजंपियउ देविहिं वयणु पलोइयउ ॥९॥
दुवई-सव्वावयवरूवफुडवत्तिविवज्जियअईअलक्खणं ॥
सुइरु वि पिच्छमाणु णउ लक्खमि तियह महु पडिक्खणं ॥१॥ विहि परयारहो अवसिं रूसइ कोढिं लुणियउ णक्कु ण दीसइ । जो जारहो दिट्ठिइ आवडियउ बिंबाहरु सो सडियउ पडियउ । जाई जारवच्छयलि पइँट्टई णक्खइँ ताई पहट्टई णट्ठई। तारईं तरलइँ जारासत्त
वणसंकासइँ जायई णेत्तई। जे थण जारकरग्गें भूसिय गंडसरिस ते पूएं दूसिय । जो जारिं करेण अच्छोडिउ केसभारु सो विहिणा तोडिउ । पाणिहिं जेहिं जारु परिमट्ठउ ठाउ वि ताहँ ण केण वि दिउ । जारणिवेईयाइँ संघायहँ
सयलंगुलियउ सडियउ पायहँ । इय तणुणिग्गहु दुण्णयगारी पाविं पाविय भज्ज महारी । मई सकलत्तु दुचित्तु विय प्पिउ तहिं अवसरि ता ताश जि जंपिउ । घत्ता-लइ अच्छउ देवहँ बंभणहँ परिवाइउ धुरि पुंजियउ ।
ण सुहाइ मज्झु चिलिसावणउ महिसयमासु णिउंजियउ ॥१०॥
११ दुवई-हरिणं सूयरं पि सूयारय सज्जोमारिअल्लयं ॥१॥
आणहि गंपि कहिं मि अवलोइवि जीहिं दियरसिल्लयं ॥१॥ तं णिसुणिवि जसवइणरणाहिं भणिउ होउ हरिणेण वराहिं। मिठु पवित्तु वि भट्टहिं गिज्जइ बोक्कडु अम्मि वियारिवि खज्जइ । अच्छइ बद्धउ मेम्मायंतउ
महिसयमासु समुग्घायंतउ । एयहो पच्छिमु पाउ लुणेविणु अम्महिं ताम देहि पउ लेप्पिणु । ता तं णिसुणिवि तेण दइच्चि आणालंघणभीएं भिञ्चिं । लहु महु पंच्छिउ सत्थिं छिण्णउ करिवि भडित्तउ कंतहि दिण्णउ ।
४. S अण्ण का वि । ५. A सरिय । ६. A कामिणिवयणगइ । ७. S रूवु । १०. १. A पडिवत्ति; S फुडवित्ति । २. A अइअइअलक्खणं; ST विलक्खणं । ३. ST पघिट्टई । ४. T
णिवेसियाई। ५. ST अंगुलि एक्क वि दिट्ठ ण पायहं । ६. S वियक्किउ । ७. S परिपुंजियउ ।
८. T मंसु । ११. १. S हिरणं । २. AP अंबि । ३. S मेमावंतउ । ४. A पच्छिम् ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org