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जसहरचरिउ
[२.१०.५परपुरिसु रमेप्पिणु पाणपिय महु भुयपंजरि पइसरिवि ठिय । सा दुट्ठ सविस णं णाइणिय महु मडयहु सा णं साइणिय । जह कंडू कंडूअणण सुहु
तिह रइ रमणिं पुणु जणइ दुहु । तणुसंघट्टणु समु सव्वु जहिं सोक्खहो अवसरु किर कवणु तहिं । आहरणभारु देहहो दमणु णञ्चणु आहारहो जीरवणु। लावण्णु सरीरहो असुइरसु बहुदुक्खहँ कारणु णेहवसु । गेयहो छलेण विरहिउ रडइ पियसंभासणु मम्मैइँ खुडइ । पेच्छंतहँ वड्ढइ कामजरु अवरुंडणु पिंडहँ पीडकरु । अणुबंधिं तिव्वु पेम्मु तवैइ पेम्मि ईसासिहि संभवइ। तिं कामु उ डज्झइ कलयलइ उन्भुब्भउ णं जालहिँ जलइ । तिय मारइ पुणु अप्पुणु मरइ घोरई संसार, संसरइ। घत्ता-जीवहु पर दुक्कियघरु विच्छिण्णउ वाहायरु॥
इंदियसुहु गरुयउ दुहु किह सेवइ पंडियणरु ॥१०॥
माणुससरीरु दुहपोट्टलउ धोयउ धोयउ अइविट्टलउ । वासिउ वासिउ णउ सुरहि मलु पोसिउ पोसिउ उ धरइ बलु । तोसिउ तोसिउ णउ अप्पणउ मोसिउ मोसिउ धरभायणउ । भूसिउ भूसिउ ण सुहावणउ मंडिउ मंडिउ भीसावणउ । वोल्लिउ वोल्लिउ दुक्खावणउ
चच्चिउ चच्चिउ चिलिसावणउ । मंतिउ मंतिउ मरणहो तसइ दिक्खिउ दिक्खिउ साहुहुँ भसइ। सिक्खिउ सिक्खिउ वि ण गुणि रमइ दुक्खिउ दुक्खिउ वि ण उवसमइ । वारिउ वारिउ वि पाउ करइ पेरिउ पेरिउ वि ण धम्मि चरइ । अब्भंगिउ अब्भंगिउ फरिसु रुक्खिउ रुक्खिउ आमइसरिसु । मलियउ मलियउ वाएं घुलइ सिंचिउ सिंचिउ पित्तिं जलइ । सो सेउ सोसिउ सिभिं गलइ पत्थिउ पत्थिउ कुट्ठहँ मिलइ । चम्में बद्ध वि कालिं सडइ रक्खिउ रक्खिउ जममुहि पडइ ।
घत्ता-इय माणुसु कयतामसु जाइ मरिवि तंवारहो।
- तरुणीवसु अम्हारिसु जडु लग्गउ घरँदारहो ॥११॥
१२ पुरु परियणु मिल्लिवि रायसिरि कल्लई आसंघमि गहणगिरि । पयपाडियणरफणिसुरवरई तउ करमि धरमि मुणिवरवयई। इय महु चिंतंतहो अरुणयरु णवपल्लवु णं कंकेल्लितरु ।
उग्गमिउ दुमणि जणु रंजियउ सिंदूरपुंजु णं पुंजियउ। १०. १. S गेयच्छलेण । २. T मम्मई । ३. S हवइ; T वहइ । ४. S कलमलइ । ५. T वाहाकरु । ११. १. ST रुय। २. S णिरु। ३. ST omit this line. ४. ST omit this line. ५. s
आमयसरसु । ६. S कोट्ठहो । ७. S घरवारहो। १२. १. S पुरपरियणु । २. T उग्गउ उडुमणि ।
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