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________________ जसहरचरिउ [२.८.३ता मई रूसेवि विज्ज लिय रणरुहिरपवाहि विच्छुलिय। अरिकरिसिरमोत्तियदंतुरिय करि असिवरलट्ठि समुद्धरिय । पहरंति णियमणि चिंतियउ मइँ आसि जेण परबलु खविउ । खग्गेण तेण पुणु परिगणमि तिय मई काउरिसु वि किह हणमि । इय चिंतिवि खमस लिलि दमिउ णियरोसहेयासणु उवसमिउ । गउ चारुचित्तकुट्टोअरए अप्पउ घल्लि उ सयणोअरए । सुमरमि तं पणइणि वावरिउ हा एक्कु वि णउ हियवइ धरिउ । णउ कुलु णउ सिरि णउ हउँ ण सुउ हा देविहि किह मइभंसु हुउ । घत्ता-साहारहो तरुसाहारहो उवरि चडेविणु लंबइ ॥ कंटयतरु अवरु वि खरु वेल्लि णिहीणु वि चुंबइ ।।८।। चंदु वि चंडालु वि मणहरिहे दीसइ पडिबिंबिउ सुरसरिहे। जिह बालु मरालु सलीलगइ तिह दुमसाहहो कंकु वि रमइ । जिह पउमिणि पाएं हय रविण तिह सालूरेण वि णिच्छविण । संझाइ व मेल्लइ रंगु लहु धणुलठ्ठि व कुडिल गुणेण सहु । विससत्ति व मारणसीलणिय सिहिधूमोलि व घरमइलणिय । जिह णइ तिह तियमइ णीयरय णारीरूवई किर के ण हेय । *गोवइयइ पडिवहुसिरु लुणिवि घित्तउ पइपत्तिं खाहि भणिवि। णासंतु सो वि छुरियई हणिवि दारिउ मारिउ वम्मइँ लुणिवि । वीरवइट गाढालिंगणउ दिण्णउ चोरहो मुंह चुंबणउ । णिवूढपोढसिंगारयहो सूलारूढहो अंगारयहो। अहरुल्लउ खंडिउ तिं मरिवि गय गेहि मुहुल्लउ संवरिवि । घरु आइवि कूआरउ करिवि खंडिउ बिंबाहरु वज्जरिवि । मारावइ किर वरइत्तु सई गोमें सुदत्तु वरवीरवइ। ता केण वि पहिएं रक्खियउ णिसिचारु जेण उवलक्खियउ। राणउ पुरयणु संबोहियउ पुण्णालिहि साहसु साहियउँ । णीसेसु वि साहिणाणु कियउ णियमितहो सगुणु पयासियउ । घत्ता-रुहिरावलिछिण्णंगुलि तरुतलि असिपहरुल्ल उ॥ तक्करमुहि णं जममुहि दिठु असइअहरुल्लउ ॥२।। १५ णइसंगमि दुई वइरिणिए उवयारविमुक्कइँ सइरिणिए । उज्झाहिउ देवरइ त्ति मूढु पंगुलणिमित्तु रत्ताइँ छूढु। हा तियमइ साहसु जं करइ कइवइ वि ण वण्णहुँ तं तरइ । आवेप्पिणु सुपुसियसेयवह णं मुक्खि माणिय विउससह । २. A हुवासणु । ३. T वागरियं । ४. AST फलसाहारहो। ९. १. T साहारेण । २. T कय । ३. P adds तथा चोक्तम् । ४. AT मुहुचुंबणउं । ५. ST णामि सुदत्तु । ६. ST add after this line जं दिट्ठउ सयलु वि तहि चरिउ । ७. ST कहिउ । ८. ST omit this line. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001841
Book TitleJasahar Chariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorParshuram Lakshman Vaidya, Hiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages320
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size22 MB
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