________________
योगसार-प्राभूत
[ अधिकार २ है, शेष 'विभावगुण-परमाणु' 'द्वथणुकादि स्कन्धरूप होता है'। और उसके विभावगुण सर्वेन्द्रियवाह्य होते हैं।
आकाश और पुद्गलोंकी प्रदेश-संख्या प्रदेशा नभसोऽनन्ता अनन्तानन्तमानकाः।
पुद्गलानां जिनरुक्ताः परमाणुरनंशकः ॥११॥ "जिनों के द्वारा आकाशके अनन्त और पुद्गलोंके अनन्तानन्त प्रमाण प्रदेश कहे गये हैं। परमाणु अनंश-अप्रदेशी ( प्रदेशमात्र ) कहा गया है।'
काख्या-यहाँ आकाश और पुद्गल-द्रव्योंके प्रदेशोंकी संख्याका निर्देश करते हुए उन्हें काशः अनन्त तथा अनन्तानन्त बतलाया है, और पुद्गल-परमाणुको अंशरहित लिखा है, जिसका आशय है अप्रदेशी अथवा प्रदेशमात्र एक ही प्रदेशके रूपमें । परमाणुसे यहाँ कालागुन्हा भी ग्रहण है अतः कालाणुको भी अंशरहित अप्रदेशी अथवा प्रदेशमात्र समझना चाहिए।
कालाणुओंको संख्या और अवस्थिति असंख्या भुवनाकाशे कालस्य परमाणवः ।
एकैसा व्यतिरिक्तास्ते रत्नानामिव राशयः॥१२॥ 'लोकाकाशमें कालके परमाणु असंख्यात कहे गये हैं और वे रत्नोंकी राशियोंमें रत्नोंके समान एक-एक और भिन्न-भिन्न हैं-आकाशके एक-एक प्रदेश में एक-एक कालाणु स्थित है।'
व्याख्या-इस पद्यमें छठे काल द्रव्यकी संख्या और उसकी स्थितिका निर्देश है। लिखा है कि कालके परमाणु-कालाणुरूप कालद्रव्य-असंख्यात हैं और वे लोकाकाशमेंलोकके असंख्यातप्रदेशोंमें-रत्नोंकी राशियों में रत्नोंकी तरह एक-एक करके एक दूसरेसे मिन स्थित हैं। यहाँ आकाशका 'लोकाकाश' नाम इस बातको सूचित करता है कि अखण्ड एक आकाशके दो भेद हैं-एक लोकाकाश और दूसरा अलोकाकाश । कालद्रव्य लोकाकाशमें ही स्थित हैं-अलोकाकाशमें नहीं।
धर्म-अधर्म तथा पुद्गलोंकी अवस्थिति "धर्माधर्मों स्थितौ व्याप्य लोकाकाशमशेषकम् । व्योमैकांशादिषु ज्ञेया पुद्गलानामवस्थितिः ॥१३।।
१. धाउच उक्कस्स पुणो जं हेऊ कारणं त्ति तं णेयो । खंधाणं अवसाणो णादवो कज्जपरमाणू ॥२५॥ २. एयरसस्वगंधं दो फासं तं हवे सहावगुणं । विभावगुणमिदि भणिदं जिणसमये सव्व पयउत्तं ॥२७॥
-नियमसार । ३. लोयायासपदेसे एक्केक्के जे ट्ठिया हु एक्केक्का । रयणाणं रासीमिव ते कालाणू असंखदवाणि ॥२२।। - लघुद्रव्यसंग्रह १२, बृहद्रव्यसं० २२; गो० जी० गा० ५८८ । ४. आ व्यवतिष्ठन्ते । ५. लोकाकाशेऽवगाहः धर्माधर्मयोः कृत्स्ने ॥१३॥ एकप्रदेशादिषु भाज्यः पुद्गलानाम् ॥१४॥ -त. सूत्र अ० ५, सू० १२, १३, १४ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org .