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________________ पर्याप्यधिकारः] [२६७ गुणयित्वा मुखसहिता कृतवं भवति ५ । ६ भा०] ६ | ७| 1१४ भा. १४भा० । १४ भा०१४ भा०१४ भा०।१४ भा०। ब्रह्मब्रह्मोसरयोश्चत्वारः प्रस्तारा, अत्र सप्त सा नि सागरोपमाणि मुखं दशसार्धानि भूमिश्चत्वार उच्छयस्तस्य संदृष्टिर्यथा । १० लान्तवकापिष्ठयोः १भा० ० ग ३ भा० | १५० ४ भा० ० र ४ भा० । २ मि १० दौ प्रस्तरो तत्र मुखं सार्द्धानि दश, सार्धानि चतुर्दश भूमिवुच्छ्यो १२ | १४ | महाशुक्र एकः प्रस्तरः, २ समायुः प्रमाणं | २. | तथा सहस्रारे एकः प्रस्तरः, तत्रायुःप्रमाणं | आनतप्राणतकल्पयोस्त्रयः प्रस्तारास्तत्र अष्टादश सार्धानि मुखं विशतिर्भूमिः तत्र संदृष्टिः । २० आरणाच्युतयोः कल्पयोः त्रय प्रस्तारास्तत्र विंशतिर्मुखं द्वाविंशतिर्भूमिः तस्य संदृष्टि : का क्षेषाणां संदृष्टिः २३ ॥ २४॥ २५ ॥ २६ ॥ २७। २८ । २६ । ३० । ३१ । ३२ । ३३ । वेदितव्येति ॥११२१।। का प्रमाण आता है। उस वृद्धि को इष्ट इन्द्रक की संख्या से गुणित कर मुखसहित करने पर वृत्ति में दी मयी तालिका के अनुसार संख्या आती है। ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर में चार इन्द्रक प्रस्तार हैं। यहाँ साढ़े सात सागर मुख है, साढ़े दश सागर भूमि है । चार उच्छ्रय हैं। संदृष्टि वृत्ति में प्रस्तुत तालिका की भाँति है। लान्तव और कापिष्ठ में दो प्रस्तार हैं। वहां साढ़े दश सागर मुख है, साढ़े चौदह सागर भूमि है, दोउच्छ्य हैं। पूर्वोक्त विधि से संदृष्टि रचना करनी चाहिए जो वृत्ति में दी गयी तालिका के अनुसार है। महाशुक्र में एक प्रस्तार है। वहां की आयु का प्रमाण वृत्ति में दी गयी तालिका के अनुसार है । सहस्रार में एक इन्द्रक है। वहाँ की आयु काप्रमाण वृत्ति में दी गयीतालिका में उल्लिखित है। आनत और प्राणत कल्प में तीन इन्द्रक है। वहाँ पर साढ़े अठारह सागर मुख और बीस सागर भूमि है। इसकी संदृष्टि उपरिलिखित तालिका में दी गयी है। आरण अच्युत कल्प में तीन प्रस्तार हैं। वहाँ पर बीस सागर मुख है और बाईस सागर भूमि है। पूर्वोक्त गणित करके इनकी संदृष्टि वृत्ति में दी गयी तालिका के अनुसार है। आगे,नव-प्रैवेयकों की संदृष्टि २३ । २४ । २५ । २६ ॥ २७ ॥ २८ ॥ २६ ॥ ३० ॥ ३१ ॥ ३२ । ३३ । समझ लेना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001839
Book TitleMulachar Uttarardha
Original Sutra AuthorVattkeracharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages456
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Religion, & Principle
File Size10 MB
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