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________________ वारस वासा वेइंदियाणमुक्कस्सं भवे आऊ। राइंबियाणि तेइंदियाणमुगुवण्ण उक्कस्सं ॥१११०॥ वारस वासा-द्वादशवर्षाणि, वेइंदियाणं-द्वीन्द्रियाणां शंखप्रभृतीनां, उक्करसं-उत्कृष्टमेव, हवे-भवेत्, आऊ-आयुः। रतिदिणाणि-रात्रिदिनानि अहोरात्ररूपाणि, तेड वियाण --त्रीन्द्रियाणां गोभ्यादीनां, उगुवष्ण-एकोनपंचाशत्, उक्कस्सं-उत्कृष्टम् । द्वीन्द्रियाणां प्रकृष्टमायुः द्वादशसंवत्स रा एव, त्रीन्द्रियाणां पुनरुत्कृष्टमायुः एकोनपंचाशद्रात्रिदिवसानामिति ॥१११०॥ चतुरिंद्रियपंचेन्द्रियाणामाह चरिबियाणमाऊ उक्कस्सं खलु हवेज्ज छम्मासं। पंचेंदियाणमाऊ एत्तो उड्ढं पवक्खामि ॥११११॥ चरिबियाणं-चतुरिन्द्रियाणां भ्रमरानीनां, आऊ-आयुः, उक्कस्स-उत्कृष्टं खलु स्फुटं हबेन्ज-भवेत्, छम्मासं-षण्मासाः। पंचेंबियाणं-पंचेन्द्रियाणां, आऊ-आयुः, एत्तो उड्ढं-इत ऊध्वं विकलेन्द्रियकथनोवं, पवक्खामि-प्रवक्ष्यामि प्रतिपादयिष्यामि। चतुरिन्द्रियाणामुत्कृष्टमायुः षण्मासमितं भवेद, इत ऊवं पंचेन्द्रियाणामायुर्वक्ष्यामीति ।।११११॥ तदेव प्रतिपादयति मच्छाण पुव्वकोडी परिसप्पाणं तु णवय पुव्वंगा। बादालीस सहस्सा उरगाणं होइ उक्कस्सं ॥१११२॥ वर्ष दशगुणितं दशवर्षाणि, दशवर्षाणि दशगुणितानि वशर्षत, वर्षशतं दशगुणितं वर्षसहस्र, वर्ष गाथार्थ-दो-इन्द्रियों की बारह वर्ष प्रमाण उत्कृष्ट आयु है । तीन-इन्द्रियों की उनचास रात-दिन की उत्कृष्ट आयु है ।।१११०॥ प्राचारवृत्ति-शंख आदि दो-इन्द्रिय जीवों की उत्कृष्ट आय बारह वर्ष है और गोभी अर्थात् खजूर (कीड़ा) आदि तीन-इन्द्रिय जीवों की उनचास दिन-रात की उत्कृष्ट आयु है। चार-इन्द्रिय और पाँच-इन्द्रिय जीवों की आयु कहते हैं गाभार्थ-चार-इन्द्रिय जीवों की छह मास की उत्कृष्ट आयु है। पंचेन्द्रियों की आयु इससे आगे कहेंगे ॥११११॥ आचारवत्ति-भ्रमर आदि चार-इन्द्रिय जीवों की उत्कृष्ट आयु छह मास तक है। अब इससे कागे पंचेन्द्रियों की आयु का वर्णन करेंगे। उसे ही कहते हैं गाथार्थ-मत्स्यों की पूर्वकोटि, परिसॉं की नवपूर्वांग और सर्पो की ब्यालीस हजार वर्ष प्रमाण उत्कृष्ट आयु है ॥१११२॥ आचारवृत्ति-वर्ष को दश से गुणा करने पर दश वर्ष, दश को दश से गुणित करने १. . णण्मासा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001839
Book TitleMulachar Uttarardha
Original Sutra AuthorVattkeracharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages456
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Religion, & Principle
File Size10 MB
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