________________
पर्याप्त्यधिकार: ]
[ २५५ सहस्र दशगुणितं दशवर्षतहस्रागि, दशवर्षस हलागि दशगुणितानि वर्षशतसहस्र, वर्षशतसहस्र दशगुणितं दशवर्षशतसहस्राणि, दशवर्षशतसहस्राणि दशगुणितानि कोटी, दशगुणिता कोटी दशकोटी', दशकोटी' दशगुणिता कोटीशतं, कोटीशतं दशगुणित कोटीसहस्र , कोटीसहस्र दशगुणितं दशकोटीसहस्राणि, दशकोटीसहस्राणि दशगुणितानि लक्षकोटीत्येवमादि कालप्रमाणं नेतव्यमिति । वर्ष नक्षं चतुरशीतिरूपगुणितं पूर्वांगं भवति, पूर्वांगं चतुरशीतिलक्षगुणितं पूर्व भवति, पूर्वस्य तु प्रमाणं सप्ततिकोटीशतसहस्राणि कोटीनां तु षट्पंचाशत्सहस्राणि चेति । प्रस्तुतं वक्ष्ये मच्छाणं- मत्स्यानां, पुष्वकोडी—पूर्वकोटी पूर्वाणां कोटी पूर्वकोटी "सप्ततिकोटीशतसहस्राणि कोटीनां षट्पंचाशत्सहस्राणि च कोटीगुणितानिपूर्वकोटी भवति"। परिसप्पाणं-परिसर्पन्तीति परिसर्पाः गोधेरगोधादयस्येषां परिसणां, तु णवय पुग्वंगा-नवव पूर्वागानि चतुरशीतिलक्षाणि नवगुणितानि, बादालीसं-द्वावत्वारिंशत्, सहस्सा–सहस्रागि, उत्तरगाथाः वर्षशब्दस्तिष्ठति तेन सह संबन्धःन पूर्वपूर्वांगाभ्यामिति, ताभ्यां सह वर्षाणां सम्बन्धे पूर्वागमविरोधः स्यात्तस्माद्वाचत्वारिंशत्सहस्राणीति संभवन्ति, उरगाणंउरसा गच्छन्ति इति उरगाः सस्तेिषामुरगाणां, होदि-भवति, उक्कस्सं-उत्कृष्टम् । मत्स्यानां पूर्वकोटी परमायुः परिसर्पाणां तु नवैव पूर्वांगानि सर्माणां पुनः परमायुर्वर्षाणां द्वाचत्वारिंशत्सहस्राणीति ॥१११२॥ . पक्षिणामसंज्ञिनां च परमायुःप्रमाणमाह
पक्खीणं उक्कस्सं वाससहस्सा बिसत्तरी होंति। एगा य पुव्वकोडी असण्णीणं तह य कम्मभूमीणं ॥१११३॥
पर सौ वर्ष, सौ को दश से गुणित करने पर हज़ार वर्ष, हज़ार को दश से गुणित करने पर दश हजार वर्ष, दश हज़ार को दश से गुणा करने पर लाख वर्ष, लाख को दश से गुणा करने पर दश लाख वर्ष, दश लाख को दश से गुणा करने पर करोड़ वर्ष, करोड़ को दश से गुणा करने पर दश करोड़ वर्ष, दश करोड़ को दश ने गुणा करने पर सौ करोड़ वर्ष, सौ करोड़ को दश से. गुणा करने पर हजार करोड़ वर्ष, हजार करोड़ को दश से गुणा करने पर दश हजार करोड़ वर्ष दश हजार करोड़ को दश से गुणा करने पर लक्ष कोटि प्रमाण होता है। इत्यादि प्रकार से काल का प्रमाण समझना चाहिए।
एक लाख वर्ष को चौरासी से गुणा करने पर पूर्वांग होता है। पूर्वांग को चौरासी लाख से गुणा करने पर पूर्व होता है। अर्थात् सत्तर लाख, छप्पन हजार करोड़ वर्षों (७०५६०००,०००००००) का एक पूर्व होता है। अब प्रस्तुत प्रकरण को कहते हैं।
___ मत्स्यों की एक कोटिपूर्व वर्ष उत्कृष्ट आयु है। सत्तर लाख करोड़ और छप्पन हजार करोड़ वर्षों को करोड़ से गुणा करने पर एक पूर्व कोटि वर्ष का प्रमाण होता है। गोह आदि प्राणियों की उत्कृष्ट आयु नव पूर्वांग है। अर्थात् चौरासी लाख वर्ष को नव से गुणा करने पर नव पूर्वांग संख्या होती है । सर्पो को उत्कृष्ट आयु ब्यालीस हजार वर्ष है। गाथा में यद्यपि 'वर्ष' शब्द नहीं है फिर भी वह आगे गाथा में है उससे सम्बन्ध किया गया है।
पक्षियों और असंजी जीवों की उत्कृष्ट आयु का प्रमाण कहते हैं--
गाथार्थ-पक्षियों की उत्कृष्ट आयु बहत्तर हजार वर्ष है तथा असंज्ञी जीव और कर्मभूमि जीवों की उत्कृष्ट आयु एक कोटिपूर्व वर्ष है ॥१११३॥ १-२. क दशकोट्य।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org |