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________________ १२६ ] [ मूलाचारे यः पुनरधःकर्मणो जीवराशि निहत्य खादयेत् स कथं न नीचः किन्तु नीच एवेति भावार्थः ।।६२२॥ येन प्राणिवधः कृतस्तेनात्मवधः कृत इति प्रतिपादयन्नाह आरंभे पाणिवहो पाणिवहे होदि अप्पणो हु वहो। अप्पा ण हु हंतव्वो पाणिवहो तेण मोत्तव्वो ॥६२३।। आरंभे पचनादिकर्मणि सति प्राणिवधः स्यात्प्राणिवधश्च भवत्यात्मवधः स्फुटं नरकतिर्यग्गतिदुःखानुभवनं, आत्मा च न हंतव्यो यतोऽतः प्राणिवधस्तेन मोक्तव्यस्त्याज्य इति ॥२३॥ पुनरप्यधःकर्मणि दोषमाहोत्तरेण ग्रन्थप्रबन्धेन जो ठाणमोणवीरासणेहि अत्यदि चउत्थछठेहि। भुंजदि प्राधाकम्मं सवे वि णिरत्थया जोगा ॥२४॥ यः पुनः स्थानमौनवीरासनश्चतुर्थषष्ठादिभिश्चास्ते अधःकर्मपरिणतं च भुक्तं तस्य सर्वेऽपि निरर्थका योगा उत्तरगुणा इति ॥६२४॥ तथा अधःकर्म के द्वारा तमाम जीव समूह को नष्ट करके आहार लेते हैं वे नीच-अधम क्यों नहीं हैं ? अर्थात् नीच ही हैं। जिसने प्राणियों का वध किया है उसने अपना ही वध किया है। ऐसा प्रतिपादन करते हैं गाथार्थ—आरम्भ में प्राणियों का घात है और प्राणियों के घात में निश्चय से आत्मा का घात होता है। आत्मा का घात नहीं करना चाहिए इसलिए प्राणियों की हिंसा छोड़ देना चाहिए ॥ ६२३ ॥ आचारवृत्ति-पकाने आदि क्रियाओं के आरम्भ में जीवों का घात होता है और उस से आत्मा का घात होता है अर्थात् निश्चित ही नरक-तिर्यंच गति के दुख भोगना पड़ते हैं । और, आत्मा का घात करना ठीक नहीं है अतएव प्राणियों की हिंसा का त्याग कर देना चाहिए। पुनरपि इस गाथा से अधःकर्म में दोष बताते हैं--- गाथार्थ-जो कायोत्सर्ग से, मौन से, वीरासन से उपवास और बेला आदि से रहते हैं तथा अधःकर्म से बना आहार लेते हैं उनके सभी योग निरर्थक हैं ।। ६२४॥ आचारवृत्ति-जो मुनि कायोत्सर्ग करते हैं, मौन धारण करते हैं, वीरासन आदि नाना प्रकार के आसन से कायक्लेश करते हैं, उपवास बेला, तेला आदि करते हैं किन्तु अधःकर्म से निर्मित आहार ग्रहण कर लेते हैं उनके वे सभी योग अनुष्ठान और उत्तरगुण व्यर्थ ही हैं। उसी प्रकार से और भी बताते है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001839
Book TitleMulachar Uttarardha
Original Sutra AuthorVattkeracharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages456
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Religion, & Principle
File Size10 MB
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