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आहार के योग्य काल साधु की चर्या की विधि बत्तीस अन्तरायों का वर्णन frosशुद्धि अधिकार का उपसंहार
astarकाधिकार
मंगलाचरण और आवश्यक कर्म की प्रतिज्ञा अरिहन्तादि पंच परमेष्ठियों का स्वरूप निर्देश तथा नमस्कार करने का प्रयोजन
आवश्यक शब्द की नियुक्ति तथा उसके भेद वर्णन सहित सामायिक और छेदोपस्थापना का उपदेश किन तीर्थंकरों ने दिया है ? इसका वर्णन
सामायिक आवश्यक का उपसंहार चतुर्विंशतिस्तवावश्यक का वर्णन व भेद
लोक निर्युक्ति और उसका नाम, स्थापनादि पदों द्वारा वर्णन
उद्योत का स्वरूप तथा उसके द्रव्य और भाव भेदों का निर्देश
धर्म तीर्थकर की व्याख्या करते हुए उसके द्रव्य और भाव भेद का वर्णन
अरहन्त शब्द की निरुक्ति तथा उनके स्तवन का वर्णन
चतुर्विंशतिस्तवन का उपसंहार
वन्दना स्तवन का प्रतिपादन तथा कृति कर्मादिक का
स्वरूप
कृतिकर्म का विशेष निरूपण
कृति कर्म में लगने वाले दोषों का निरूपण
साधु वन्दना किस प्रकार करता है, इसका वर्णन साधु वन्दना का उत्तर किस प्रकार देता है, इसका वर्णन प्रतिक्रमण तथा उसके भेदों का वर्णन
प्रतिक्रमण करने योग्य द्रव्य, क्षेत्र, कालादि का वर्णन आलोचना का स्वरूप तथा उसके भेदों का वर्णन आलोचना के पर्यायवाची शब्द
आलोचना में कालहरण का निषेध
भाव व द्रव्य प्रतिक्रमणों का वर्णन तथा उनकी आवश्यकता आदि और अन्तिम तीर्थंकरों के शिष्य प्रतिक्रमण करते
५४ / मूलाचार
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