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________________ गाथा पृष्ठ ४०६-४०८ ४०६-४१० ४११-४१२ ४१३ ४१४-४१७ ४१८ ४१६ ३२०-३२१ ३२१-३२२ ३२२-३२३ ३२४ ३२४-३२६ ३२६-३२८ ३२८-३२६ ४२० ३३० ४२१ ४२२-४२३ ४२४ ४२५-४२६ ३३१-३३२ ३३२-३३४ ३३४-३३५ विषय व्युत्सर्ग तप का वर्णन तथा उसके बाहय-आभ्यन्तर ये दो भेद बारह तपों में स्वाध्याय तप की प्रमुखता तप आचार का उपसंहार वीर्याचार का वर्णन सप्तदश प्रकार के प्राणि संयम का वर्णन इन्द्रिय संयम का स्वरूप पंचाचार प्रकरण का उपसंहार पिंडशुद्धि-अधिकार मंगलाचरण तथा पिडशुद्धि अधिकार की प्रतिज्ञा उदगम, उत्थान तथा एषणादि दोषों का नामनिर्देश करते हुए पिंडशुद्धि के आठ भेदों का निर्देश सोलह उद्गम दोषों का नाम निर्देश गृहस्थ के आश्रय से होने वाले अधःकर्म का स्वरूप उद्देशिक दोष का स्वरूप अध्यधि दोष का स्वरूप पूति दोष का स्वरूप मिश्र दोष का स्वरूप स्थापित दोष का स्वरूप बलि दोष का स्वरूप प्राभूत दोष का स्वरूप एवं उसके भेद प्रादुष्कर दोष का स्वरूप कोततर दोष का स्वरूप ऋण दोष का स्वरूप परावर्त दोष का स्वरूप अभिघट दोष का स्वरूप तथा उसके आचिह्न तथा अनाचिह्न भेदों का वर्णन सर्वाभिघट दोष एवं उसके भेदों का वर्णन उद्भिन्न दोषों का वर्णन मालारोहण दोष का वर्णन आच्छेद्य दोष का वर्णन .. अनोशार्थ दोष का वर्णन उत्पादन दोषों का वर्णन व उसके भेद ४२७ ४२८ ४२६ ४३० ४३१ ४३२-४३३ ३३७ ३३७ ३३७-३३८ ३२८ ३३६-३४० ३४० ३४१ ३४२ ३४२ ४३५ ४३७ ३४३-३४४ ४३८-४३६ ४४० ४४१ ४४२ ४४३ ४४४ ४४५-४४६ ३४५ ३४५ ३४६-३४० ३४६ ५२ / मूमाचार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001838
Book TitleMulachar Purvardha
Original Sutra AuthorVattkeracharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages580
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Religion, & Principle
File Size12 MB
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